आतंक का खात्मा करेंगे रूस-अमेरिका
पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ी परेशानी का नाम है आतंकवाद, जिसका खात्मा अब बेहद जरूरी हो गया है. इस्लामिक आतंकवाद हर किसी के लिए किसी जख्म से कम नहीं है..
इस्लामिक आतंकवाद ऐसा जख्म है. जिससे करीब-करीब हर दूसरा देश पीड़ित है. खासतौर से आतंकवाद उन देशों के लिए नासूर बनता जा रहा है. जिन्होंने आतंक के खात्मे के लिए जंग छेड़ी हुई है यानी आतंक के खिलाफ बोलना, इस्लामिक कट्टरपंथियों के अंदर बेचैनी पैदा कर देता है.
आतंक के खिलाफ 'स्पेशल 7'
- अमेरिका ने आतंक के खिलाफ हल्ला बोला.. तो वहां 9/11 हो गया
- भारत ने पाकिस्तान के आतंक की पोल खोली.. तो यहां 26/11 हो गया
- फ्रांस ने कट्टरपंथियों पर लगाम लगानी चाही.. तो चार्ली हेब्दो पर हमला हो गया
- ब्रिटेन में इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ आवाज उठी.. तो वहां लोन वुल्फ जैसे अटैक हुए
- लेबनान ने आतंक से निजात पाने की कोशिश की.. तो वहां बड़ा धमाका हो गया
इतिहास गवाह रहा है कि जिस देश ने इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ बोलना शुरु किया है. वहां-वहां दहशत के किरदारों ने तबाही मचाई है. लेकिन वो देश रुके नहीं. दुनिया की इस आत्मघाती बीमारी को खत्म कर देना चाहते हैं. जिसमें अब रूस का नाम भी जुड़ गया है.
आतंकी हमले रोकने का सीक्रेट प्लान
अमेरिका, रूस, डेनमार्क, इजरायल, भारत, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे शक्तिशाली देश आतंकी जेहाद से मुक्ति चाहते हैं.. इसके लिए प्लान भी बनाए गए हैं.
इसलिए ये देश आतंक के आकाओं के रडार पर भी रहते हैं. पिछले 6 साल में मोदी सरकार ने आतंक के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन चलाया हुआ है. जिससे आतंक की कमर टूट चुकी है. बावजूद इसके पाकिस्तान में बैठे आतंकी सरगना बड़े आतंकी हमले की प्लानिंग में जुटे हुए हैं. लेकिन उन्हें हर बार करारा जवाब मिलता है.
सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं तुर्की आतंक की दुनिया का नया खलीफा बनने को बेचैन है. उसने पहले पाकिस्तान को सपोर्ट किया. और अब अजरबैजान के साथ तुर्की और पाक साथ मिले हैं. आतंकियों की खेप आर्मेनिया के खिलाफ लड़ने को भेजी है
तुर्की का मंसूबा रौंदने को 'कूट'नीति
डिफेंस एक्सपर्ट क्या कहते हैं- रोबिंदर सचदेवा ने इस वैश्विक समस्या पर कहा है. कि इस वक्त तुर्की इस्लामिक आतंकवादियों का इस्तेमाल गैर इस्लामिक देशों के खिलाफ कर रहा है. जिससे दुनिया भर में इस्लामिक कट्टरपंथ का राज हो. और एर्दोगन का खलीफा बनने का मंसूबा पूरा हो सके.
तुर्की का तानाशाह प्रेसिडेंट अर्दोगन खलीफा बनने का मंसूबा पाले हुए हैं. इस वजह से उसे यूएई और अरब जैसे खाड़ी देशों की मुखालफत झेलनी पड़ रही है. ऐसे में तुर्की ने उन इस्लामिक देशों पर अपना जाल फेंकना शुरु कर दिया है. जो उससे छोटे हैं औऱ आतंक को पनाह देने वाले हैं. जिसमें पाकिस्तान सबसे पहले आता है. यानी सीधा एजेंडा है. इस्लाम कट्टरपंथ के नाम पर इस्लामिक देशों को एकजुट किया जाए. और फिर ताकतवर देशों में अस्थिरता पैदा की जाए. लेकिन ये इतना आसान नहीं. अमेरिका के बाद रूस ने भी इस्लामिक आतंक को सीधा चैलेंज किया है. सोचिए जब दुनिया की दो बड़ी महाशक्ति आतंक से लड़ेंगी. तो उनके साथ कई और देश आ जाएंगे. तो तुर्की हो या पाकिस्तान दोनों का मंसूबा जहन्नुम में दफन कर दिया जाएगा.
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