नई दिल्ली. जैसा पहले तय था रूस ने वैसा नहीं किया और उसने चीन को एस-400 देने पर फिलहाल रोक लगा दी है. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत, ब्रिटेन, हांगकांग और ताइवान से एक साथ उलझ रहे चीन के लिए ये अजब असमंजस वाली स्थिति पैदा हो गई है. चीन यह समझ नहीं पा रहा है कि वह इसका क्या अर्थ लगाए.



सीमा का बड़ा पहरेदार है एस-400 


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एस-400 नाम है इस बड़े हथियार का जिसकी सप्लाई पर फिलहाल रूस ने रोक लगा दी है. भारत और अमेरिका से बड़ा पंगा ले चुके चीन को इसकी खासी जरूरत थी. लेकिन भारत-रूस कूटनीति की सुन्दर विजय हुई और रूस ने एस-400 चीन को देने पर फिलहाल लगा दी है रोक. एस-400 मिसाइल सिस्‍टम किसी भी देश की सीमाओं का एक बड़ा सुरक्षा चक्र है जो कि लगभग अभेद्य ही है.


तिहरी चिंता में है अब चीन  


एस-400 फिलहाल चीन को न देने ने चीन को तीन मोर्चों पर चिंतित कर दिया है. एक तो उसे ये समझ आ गया है कि अमेरिका के खिलाफ रूस का साथ कोई गारंटी नहीं है. दूसरा ये भी कि भारत और अमेरिका के खिलाफ उसकी अपनी सरहद पर पहरेदारी उतनी मजबूत न रह पाएगी और तीसरी चिंता ये है कि अब चीन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अकेला रह गया है, दक्षिण कोरिया, पाकिस्तान और नेपाल जैसे उसके पिछलग्गू उसका अमेरिका के खिलाफ कोई भला नहीं कर पाएंगे.  


चीन पर लगाया जासूसी का आरोप 


सीमा की सुरक्षा को अभेद्य बना देने वाली मिसाइल एस-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है. इसकी एक अच्छी बात और भी है कि इसको तैनात करना और कहीं भी ले जाना बहुत सरल है. मास्को ने पहले चीन पर रूस में जासूसी का आरोप लगाया और अब S-400 कि आपूर्ति पर तत्‍काल रोक लगाकर रूस ने चीन को जितना हैरान किया है उतना ही परेशान भी कर दिया है. 


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