नई दिल्ली: ये क्रूरता नहीं, अनुशासन का कठोर पाठ है. जो लोग लॉकडाउन तोड़ने में शान समझते हैं और लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाने में आनंद लेते हैं - उनको अनुशासन का पाठ पढ़ाया जाता है जो कभी कभी उनकी बेशर्मी और  बदनीयती का मुकाबला करने के लिए बराबर का सख्त हो जाता है तो इस तरह की ही खबर बनती है.


नाइजीरिया की है घटना


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कोरोना महामारी संक्रमण की बदसूरत सच्चाई है. वायरस से पैदा हुए इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए दुनिया भर में लॉकडाउन लगाया गया है. इन लॉकडाउन लगाने वाले देशों में भारत भी शामिल है. लेकिन दूसरे देशों की तरह यहां भी लॉकडाउन के बावजूद लोग सड़कों पर टहलते दिख जाते हैं. नाइजीरिया में भी कुछ ऐसा ही हो रहा था तो पुलिस ने लिया ऐसा सख्त ऐक्शन की अब दूर दूर तक पंछी भी पर मारता नज़र नहीं आ रहा.


अठारह लोगों को मार दी गोली


नाईजीरिया में जब पुलिस ने देखा कि लोग बार बार कर्फ्यू तोड़ कर बाहर आ जाते हैं. तो उसने सख्त कदम उठाने का फैसला कर लिया. पहले आम जनता को वार्निंग दी कि सरकारी आदेशों का पालन करें नहीं तो सख्ती की जायेगी. किन्तु उसके बाद भी जब यहां लोगों ने सरकारी आदेश का पालन नहीं किया तो पुलिस ने उनको क्षमा नहीं किया और गोलियां मार कर 18 लोगों को ढेर कर दिया.


गोली से ज्यादा मरे कोरोना से कम


ये आंकड़ा दुखद है जो बताता है कि इन गोली मारे गए लोगों की संख्या पूरे देश में कोरोना वायरस से हुई मौत से कहीं ज्यादा है. नाइजीरिया में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या सिर्फ 13 है. इस देश में भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग अनुशासन से अधिक स्वतंत्रता को तरजीह दे रहा है और अपनी रिपोर्ट के माध्यम से कह रहा है कि उनको मिली शिकायतों के अनुसार नाइजीरिया के 36 राज्यों में से 24 से सुरक्षा बलों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटनाएं हुई हैं.


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