ठीक होने के बाद भी जिस्म पर बेहद बुरा असर छोड़ता है कोरोना

कोरोना की चपेट में दुनिया के 22 लाख लोग हैं. हालांकि 5.5 लाख लोग इससे ठीक भी हो चुके हैं. लेकिन उनका अनुभव बेहद बुरा रहा है.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 17, 2020, 07:55 PM IST
    • दुनिया में कोरोना के 5.5 लाख मरीज ठीक हुए
    • जानिए उनका दिल दहला देने वाला अनुभव
    • शरीर को अंदर से तोड़ देता है कोरोना
    • कोरोना है शरीर के लिए बेहद घातक
    • ठीक होने के बाद भी शरीर की क्षमता बहुत दिनों तक नहीं लौटती
ठीक होने के बाद भी जिस्म पर बेहद बुरा असर छोड़ता है कोरोना

नई दिल्ली: दुनिया भर में कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा डेढ़(1.5) लाख के पास पहुंच चुका है. लेकिन इससे प्रभावित हुए 22 लाख लोगों में से 5.5 लाख लोगों ने इस महामारी के खिलाफ जंग जीती भी है.  

शरीर को अंदर से तोड़ देता है कोरोना
कोरोना से जंग जीत चुके इन जांबाजों में करीब तीस फीसदी लोगों का अनुभव बेहद भयावह रहा है. उनकी कहानी इस मिथक को तोड़ देती है कि कोरोना सिर्फ आपके फेफड़ों को अपना शिकार बनाता है. ये बीमारी लंग्स पर कोई सामान्य असर नहीं डालती बल्कि उन्हें बुरी तरह छलनी कर देती है.

कोरोना के मरीजों के बताए अनुभवों से पता चलता है कि कोरोना वायरस(CoronaVirus) गले से फेफड़े तक अपनी पकड़ बनाकर आपके शरीर के हर सेल में किसी छापामार की तरह घुसपैठ करने लगता है.

बेहद शातिर घुसपैठिए की तरह रणनीति बनाता है कोरोना
कोरोना वायरस जब किसी के शरीर में घुसता है तो वो उस शरीर के खिलाफ गोरिल्ला युद्ध छेड़ देता है. ये वायरस इंसानी शरीर में घुसपैठ के बाद उस शरीर की इम्युन क्षमता के मुताबिक अपनी रणनीति बनाता है.  ये वायरस अपनी उपस्थिति के लक्षणों को बेहद चालाकी से छिपाता है और उन्हें बदलता भी रहता है. जिसकी वजह से कई बार तो कोरोना के लक्षण दिखाई ही नहीं देते हैं. 

अमेरिका के एक युवक की कहानी आपको डरा देगी
अमेरिका के 35 साल के एक युवक बीनो माइल्स ने इस बीमारी से छुटकारा पाने के बाद इसके लक्षणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उसने बताया कि कोरोना को शुरुआती लक्षणों के दौरान ही उसके सूंघने और किसी चीज का टेस्ट महसूस करने की क्षमता गायब हो चुकी थी. 

बेहद स्वस्थ शरीर और अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता रखने वाले बीनो माइल्स को एक दोपहर अचानक अपनी सूंघने की क्षमता खत्म होती महसूस हुई और खाने-पीने की चीजों का स्वाद महसूस करने की क्षमता भी अचानक घटती महसूस हई. बीनो माइल्स इसे बदलते मौसम का असर मान रहे थे. लेकिन ये उनपर कोरोना वायरस का गुरिल्ला अटैक था.

बीनो माइल्स को कोरोना की चपेट में आऩे की जानकारी तब मिली, जब उनका मेडिकल टेस्ट पॉजिटिव आया. जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती होने कहा. बीनो माइल्स को तो मुंह का स्वाद और नाक से गंध सूंघने की क्षमता गायब होने के चंद घंटे के बाद कोरोना का शिकार बनने का अहसास हो गया.

मजबूत शरीर वालों को भी कोरोना ने बर्बाद कर दिया
दुनिया भर में कोरोना के करीब 30 फीसदी ऐसे मरीज हैं, जिन्हें इस वायरस की चपेट में आऩे के बाद किसी न किसी स्टेज में मुंह का स्वाद और नाक की गंध सूंघने की क्षमता खत्म होने का अनुभव हुआ. खास बात ये है कि कोरोना का ये छिपे लक्षण दुनिया भर में ज्यादातर 18 से 40 साल के उम्र वाले अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले नौजवानों में दिखा है.
जो अपनी शारीरिक क्षमता की वजह से निश्चिंत थे. 

इनके अनुभवों से सबक लेते हुए ये वक्त अलर्ट होने का है. और डॉक्टर से तुरंत संपर्क करने का है. जैसे ही स्वाद और गंध की क्षमता पर किसी तरह का असर दिखाई दे तो तुरंत चेकअप कराएं और पता लगाएं कि कोरोना ने कहीं आप पर गुरिल्ला अटैक तो नहीं किया है.

 

 

 

 

 

 

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