नई दिल्ली.  इस गाँव में नागों को चुन चुन कर पकड़ा जाता था इस लिए इसका नाम ही रख दिया गया नागचुन. मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के पास है ये गाँव जहां इतने सांप निकलते हैं कि वे घर के किसी भी कोने में आराम करते पाए जा सकते हैं. और ऐसा भी नहीं हैं कि ये कोई साधारण सांप हों, ये सभी सांप विषैले सांप हैं.


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खेतों और गलियों से आ गये घरों में 


यहां पहले होता ये था कि ये सांप खेतों और सड़कों से चल कर गाँव की गलियों में आ जाते थे अब तो ये आलम है कि ये घरों के अंदर प्रवेश कर गए हैं. नागचुन के ये विषैले सर्प यहां रहने वालों के घरों के बेडरूम, किचन और कपड़ों के हेंगर पर भी लटकते दिखाई दे जाते हैं. हालत फिलहाल ठीक हो रही है अब खेतों में रासयनिक खाद का इस्तेमाल ज्यादा होने की वजह से साँपों की संख्या कम होती जा रही है. 


अपनेपन के साथ रहते हैं सांप


नागचुन में ये सांप घरों में रहते हैं तो बाहरवालों की तरह नहीं रहते, ये परिवार के सदस्य बन कर रहते हैं. हालांकि इनकी कोई मांग नहीं होती न खाने पीने को कुछ मांगते हैं न गुस्सा दिखाते हैं, लेकिन इनके अपनेपन में किसी तरह की कोई कमी नहीं होती. यहां सांप के काटने की खबरें नहीं सुनाई देतीं.


कई पीढ़ियों से रह रहे हैं


जिस तरह लोग इस गाँव में पीढ़ियों से रह रहे हैं उसी तरह से सांप भी कई पीडियों से यहां रह रहे हैं. वैसे ये अभी तक किसी ने नहीं सोचा कि इस गाँव में सांप पहले आये थे या आदमी. अब मिल जल कर रहना हो रहा है सांप और आदमी का. आदमी तो गुस्से में आ कर कभी सांप पर अपना क्रोध उतार सकता है किन्तु यहां के सांप क्रोधी नहीं होते न ही किसी पर अपना गुस्सा उतारते पाए जाते हैं.


हर महीने नागपंचमी 


नागचुन में हर शुभ कार्य की शुरुआत इस गाँव में नाग देवता के मंदिर में पूजा के साथ होती है. सारे भारत में साल में एक बार नागपंचमी मनाई जाती है जबकि यहां हर महीने की पंचमी को नागपंचमी मनाई जाती है और नाग देवता की पूजा की जाती है. 


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