नई दिल्ली: पाकिस्तान के पूर्व सैनिक तानाशाह परवेज मुशर्रफ को पिछले दिनों विशेष अदालत ने फांसी की सजा सुना दी है. अब देश में संविधान के खिलाफ जा कर आपातकाल लगाने के मामले में परवेज मुशर्रफ पर चल रहे मामले से जुड़ी सारी सुनवाई का विवरण जारी कर दिया है.


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विशेष अदालत ने फैसले में लिखा है कि भगोड़े को पकड़कर कानून के मुताबिक सजा दें और अगर ऐसा न हो और वह मर जाए तो उसके शव को घसीटकर चौराहे पर लाएं और तीन दिन तक उसे वहां लटका कर रखा जाए. 


मुशर्रफ को 2-1 से बेंच ने सुनाया यह फैसला


यह सजा सुनने में ही कितनी भयानक लगती है. लेकिन  विशेष अदालत के तीन सदस्यीय बेंच ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद मुशर्रफ के लिए यहीं सजा तय की है. पेशावर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति वकार अहमद सेठ और लाहौर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शाहिद करीम ने मौत की सजा के पक्ष में फैसला दिया जबकि सिंध हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति नजर अकबर ने इसपर असहमति जताई. यानी देखा जाए तो विशेष अदालत ने 2-1 से इस फैसले को पास किया. 



आपातकाल में मुशर्रफ का साथ देने वाले अधिकारी भी बराबर के जिम्मेदार


इस फैसले की एक खास बात यह भी है कि इसमें अदालत ने कहा है कि वो तमाम वर्दी वाले भी इस मामले में बराबर के भागीदार हैं जिन्होंने उस समय मुशर्रफ का साथ दिया था, उन्हें सुरक्षा दी थी.


तीन सदस्यीय बेंच ने फैसले में कहा कि तात्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने जब आपातकाल लगाई थी तो उस समय कोर कमांडरों की कमिटी और उसके तमाम अधिकारी भी उनके आदेश पर या उनके फैसलों में शरीक थे, वे सभी भी दोषी हैं. मुशर्रफ ने जिन-जिन को सुरक्षा दी थी, वह भी बराबर के जिम्मेदार हैं. 


मुशर्रफ ने कहा निजी भावना से प्रेरित है यह फैसला


मुशर्रफ इस वक्त भाग कर दुबई में जा छिपे हैं. उन्होंने इस फैसले पर आपत्ति भी जताई है. उन्होंने कहा कि फैसला बिल्कुल नाजायज है और उनके खिलाफ प्रतिशोध की भावना से प्रेरित है. वो इसको नहीं मानेंगे.


इधर अदालत ने आदेश दिया है कि पाक की कानूनी संस्थाओं को यह निर्देश दिया है कि भगोड़े को पकड़ने के लिए जल्द एक टीम भेजी जाए और पूरे जी जान के साथ उसे यहां लाया जाए. इस बीच अगर मुशर्रफ की मौत हो जाए तो उसकी लाश को घसीटकर इस्लामाबाद लाया जाए और डी चौक पर तीन दिन तक यूं ही लटकता छोड़ दिया जाए.