नई दिल्ली. आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान के लिए एक बुरी खबर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में सामने आई है. दरअसल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी अब वैश्विक आंतकी संगठन अल-कायदा के साथ हाथ मिलाने की तैयारी कर रहा है. टीटीपी चाहता है कि अल-कायदा के साथ मिलकर दक्षिण एशिया में सभी आतंकी समूहों का एक संरक्षक संगठन तैयार किया जाए. ऐसे में यह खबर सभी दक्षिण एशियाई देशों के लिए चिंताजनक मानी जा रही है. लेकन इन दो आतंकी संगठनों के हाथ मिलाने का सबसे ज्यादा बुरा असर पाकिस्तान पर पड़ सकता है. 


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हमले तेज करने में टीटीपी की मदद कर सकता है अल-कायदा
रिपोर्ट में कहा गया है- टीटीपी को अल-कायदा पाकिस्तान में आतंकी हमले तेज करने में मदद कर सकता है. दुनियाभर में आतंकी गतिविधियों पर निगाह रखने वाली संयुक्त राष्ट्र की इस कमेटी ने पाकिस्तान के उस दावे में भी दम पाया है जिसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने के बाद टीटीपी लगातार मजबूत होता जा रहा है. 


सबसे ज्यादा बुरा असर झेल सकता है पाकिस्तान
रिपोर्ट में भी यह बात कही गई है कि अल कायदा और टीटीपी के साथ आने का सबसे ज्यादा बुरा असर पाकिस्तान को ही झेलना पड़ सकता है. दरअसल अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में कई आतंकी समूह अपने ट्रेनिंग कैंप चला रहे हैं. और टीटीपी के आतंकी भी इन ट्रेनिंग कैंप का इस्तेमाल करते हैं. यानी पाकिस्तान में हमले करने के लिए टीटीपी को इन कैंपों से आसानी से आतंकी और हथियार मिल जाएंगे. 


तालिबान शासन ने रिपोर्ट को बताया बकवास
हालांकि अफगानिस्तान में तालिबान शासन के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट को बकवास करार दिया है. मुजाहिद ने ट्वीट में कहा है- सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारे संबंध अल-कायदा के साथ हैं, यह बात सही नहीं है. अल-कायदा की अफगानिस्तान में कोई मौजूदगी नहीं है. तालिबान सरकार किसी भी बाहरी को किसी अन्य देश के लिए अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल नहीं होने देगी. 


अफगानिस्तान में आतंकी कई समूहों के लिए काम कर रहे
25 जुलाई को पेश की गई इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई आतंकी समूह अफगानिस्तान में ऑपरेट करने के लिए टीटीपी को कवर के तौर पर भी इस्तेमाल कर रहे हैं. रिपोर्ट ने इस बात को भी चिंताजनक बताया है कि अफगानिस्तान में आतंकी एक से ज्यादा समूहों के लिए काम कर रहे हैं. ऐसे में अल-कायदा, इस्लामिक स्टेट खोरासान, टीटीपी या फिर अन्य आतंकी समूहों के बीच की लाइन धुंधली पड़ गई है. आतंकी उस समूह के लिए काम करने लगते हैं जिसकी शक्ति उन्हें बढ़ती हुई लगती है.


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