नई दिल्ली. पिछले साल अर्थात 2019 के आखिरी महीने में चीन की चुप्पी बड़ी रहस्य्मयी थी. इस चुप्पी की यह वजह थी कि एक माह पहले नवम्बर के तीसरे हफ्ते में वुहान लैब से फैलने की शुरुआत कर चुके कोरोना वायरस की जानकारी पूरी और अच्छी तरह से वायरॉलजी के वैज्ञानिकों के पास थी. वे जानते थे कि कोरोना वायरस SARS की तरह है और प्राणघातक भी. 


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कम से कम तीन हफ्ते छुपाई जानकारी 


चीन को मूल रूप से नवंबर से थी ये जानकारी लेकिन चीन ने बताया कि दिसम्बर के आखिरी हफ्ते में आये कोरोना वायरस के पहले मामले से उनको इस वायरस की पहली जानकारी मिली. सेंसर की गई रिपोर्ट बताती है कि चीन ने  कम से कम तीन हफ्ते ये जानकारी दुनिया से छुपाई थी. 


पता था कैसे फैलता है जानलेवा वायरस 


चीन सरकार द्वारा सेंसर की गई मीडिया रिपोर्ट से साफ़ हो गया है कि कोरोना वायरस की जानकारी चीन के पास शुरू से थी. रिपोर्ट से पता चला है कि चीन ने लेकिन उस जानकारी को शुरू में दुनिया के साथ साझा करना जरूरी नहीं समझा. चीन सरकार को पता था कि यह वायरस जानलेवा है और वो ये भी जानते थे कि यह वायरस इंसानों के माध्यम से संक्रमण फैलाता है. 


जानबूझ कर की गई हरकत लापरवाही नहीं होती 


इस अहम मीडिया रिपोर्ट को सेंसर करना चीन की लापरवाही नहीं थी. इसलिए ये नहीं कहा जा सकता कि चीन में कोरोना वायरस इन्फेक्शन को फैलने से रोकने में लापरवाही की गई. जानबूझ कर और योजनाबद्ध तरीके से कोरोना कॉन्सपिरेसी को चीन ने अंजाम दिया है. इस रिपोर्ट को सेंसर करके चीन ने सिद्ध कर दिया है कि चार लाख लोगों की मौत के जिम्मेदार इस वायरस के जिम्मेदार चीन को गुनहगार माना जाना चाहिए. 


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