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नई दिल्ली. कोरोना सिटी वुहान का वायरस आज दुनिया के लिए खतरा बन कर उभरा है.  लेकिन इस संक्रमण की स्क्रिप्ट चालीस साल पहले ही लिख दी गई थी जिसे एक न एक दिन सामने आना ही था. चालीस साल पुरानी कोरोना की कहानी के पन्ने खोल कर रख दिए हैं एक अमरीकी किताब ने और एक लाजवाब सवाल आज चौंकाने वाला है कि क्या कोरोना वायरस एक जैविक हथियार है ?



 


खुलासा किया अमरिकी किताब ने 


अमरीकी किताब बताती है कि वुहान से पैदा हुए इस खतरे का आगाज़ अभी का नहीं है, ये चालीस साल पुराना राज़ है जो छुपा हुआ था दुनिया की निगाहों से. वुहान में वायरस त्रासदी की दास्तान चार दशक पहले शुरू हुई थी.  एक अमेरिकी किताब ने किया है यह हैरतअंगेज़ खुलासा. 


द आइज ऑफ डार्कनेस ने खोला है राज़ 


दुनिया भर में लोकप्रिय अमेरिकी लेखक डीन कुंट्ज की लिखी हुई है - द आइज ऑफ डार्कनेस. 1981 में लिखी इस किताब में डीन कुंट्ज ने ये राजफाश किया है जिसमें उन्होंने बताया कि वुहान-400 नामक एक वायरस बाकायदा तैयार किया जा रहा है. इस वायरस को लेबोरेटरी के माध्यम से एक जैविक अस्त्र के तौर पर विकसित किया जा रहा था. 



 


कोरोना वायरस एक जैविक हथियार है 


दुनिया भर के लोग इस किताब के खुलासे से अचम्भित हैं. और अब यह सोशल मीडिया पर एक महत्वपूर्ण विषय बन कर बातचीत और तर्क-वितर्कों के दौर से गुज़र रहा है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कोरोना वायरस के जैविक हथियार होने का ज़िक्र एक प्रश्न के रूप में अपने ट्वीट के माध्यम से किया है. प्रमाण के तौर पर मनीष ने इस पुस्तक का हवाला दिया है.


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