नई दिल्ली.  अमेरिकी संसद में पास हो गया है हांग कांग ऑटोनोमी एक्ट जिस पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दस्तखत भी हो गए हैं और अब हांगकांग को दुहरा समर्थन मिल रहा है - एक तरफ उसके साथ खड़ा है ब्रिटेन और दूसरी तरफ उसका पहरेदार बना है अमेरिका. 


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ऐक्ट बैंकों पर हुआ लागू 


हांगकांग ऑटोनॉमी एक्ट बड़े और अंतर्राष्ट्रीय बैंकों के लिए धर्मसंकट बन कर आया है. हांगकांग ऐक्ट पर अमेरिकी राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो जाने के बाद अब दुनिया भर के वैश्विक बैंकों को चुनना है कि वे किधर खड़े हैं. क्या वे अमेरिका के साथ हैं या चीन के साथ? अपनी इसी निष्ठा के साथ अब वैश्विक बैंक काम कर सकेंगे अर्थात यदि वे चीन के समर्थक हैं या ऐसे कहें यदि वे चीन में कार्यरत हैं तो वे अमेरिका में काम नहीं कर सकेंगे. अब बैंक अमेरिका और चीन दोनों जगह एक साथ काम नहीं कर सकेंगे.


खत्म किया हांगकांग का विशेष दर्जा 


एक तरफ चीन ने हांगकांग में नया कानून लागू किया तो अब इस तरफ अमेरिका ने भी हांगकांग का विशेष दर्जा खत्म कर दिया है. इस तरह अमेरिका ने हांगकांग के समर्थन में हांगकांग पर काबिज चीनी सरकार कर वैधानिक विरोध शुरू कर दिया है. विशेष दर्जा खत्म करने पर अमेरिका का कहना है कि अब चीन के जैसे ही हांगकांग से भी व्यवहार किया जाएगा. अब हांगकांग को कोई विशेष अधिकार नहीं दिए जाएंगे, आर्थिक रूप से अब उसे कोई विशेष महत्त्व नहीं मिलेगा.



 


प्रेसवार्ता के माध्यम से दिया बयान 


हाल ही में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान हांगकांग को लेकर अमेरिका का यह बयान सामने आया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने स्वयं को चीन के विरुद्ध सबसे सख्त अमेरिकी राष्ट्रपति करार दिया है.  ट्रम्प ने कहा कि चूंकि चीन ने हांगकांग पर नया विवादास्पद सुरक्षा कानून लागू करके उस देश के नागरिकों की आजादी छीन ली है और उनको अपने अधिकारों से वंचित कर दिया है. अब मेरे ख़याल से हांगकांग बाजार में प्रतिस्पर्धा करने लायक नहीं रहेगा और कई लोग हांगकांग छोड़ देंगे.


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