कीव. रूस के साथ चल रहे युद्ध के बीच यूक्रेनवासी एक अलग तरह के डर में जी रहे हैं. दरअसल क्रेमलिन द्वारा पुलिस की मदद से कराये जा रहे जनमत संग्रह और कब्जे में लिये जा चुके चार क्षेत्रों के रूस में विलय की संभावना है. अब इन इलाकों के लोगों को दुश्वारियों एवं राजनीतिक दमन का डर सता रहा है.


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सात महीने से रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई चल रही है. इन क्षेत्रों के कई बाशिंदे जनमत संग्रह शुरू होने से पहले वहां से जा चुके हैं. लोगों को डर है कि उनसे जबरन मतदान करवाया जाएगा या रूस की सेना में भर्ती कर लिया जाएगा.


भविष्य को लेक बेचैन लोग
शुक्रवार को निर्धारित मतदान से पूर्व रूसी कब्जे वाले खेरसोन शहर को छोड़ चुके पेट्रो कोबर्निक ने कहा कि रूसी कानून के अधीन रहने की आशंका और युद्ध के कारण बिगड़ते हालत ने उन्हें और अन्य को भविष्य को लेकर बेचैन कर दिया है.


रूस के साथ-साथ इनका भी डर
कोबर्निक ने फोन पर कहा , ‘स्थिति तेजी से बदल रही है और लोगों को डर है कि उन्हें रूसी सेना द्वारा या यूक्रेन के गुरिल्लों और आगे बढ़ रहे यूक्रेनी सैनिकों द्वारा नुकसान पहुंचाया जाएगा.’


सुनाई आपबीती
कोबर्निक ने कहा कि खेरसोन के नोवोत्रोइत्स्के गांव में जब कुछ रूसी अधिकारी सशस्त्र पुलिस के साथ मतपत्रों को लेकर पहुंचे तब उनके 70 वर्षीय पिता ने अपने घर का दरवाजा बंद कर दिया. रूस के नियंत्रण वाले लुहांस्क, खेरसोन, दोनेत्स्क एवं जापोरिज्जिया क्षेत्रों में जनमत संग्रह कराए जाने की यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने निंदा की है.


इस जनमत संग्रह को इन क्षेत्रों के रूस में विलय के बहाने के रूप में देखा जा रहा है. मंगलवार को मतदान पूरा हो जाने के बाद ऐसी आशंका है कि रूस इन क्षेत्रों को अपना हिस्सा घोषित कर देगा.


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