नई दिल्ली: कोरोना वायरस के खिलाफ विश्व युद्ध में हर दिन नई चुनौतियां सामने आ रही हैं. इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने देशों को नसीहत देते हुए कहा है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के मामलों का पता लगाने के लिए लोगों की जांच करनी चाहिए और सबसे बड़ी बात ये कि जांच उन लोगों की भी की जानी चाहिए, जिनमें संक्रमण के लक्षण नहीं हैं.


WHO की नसीहत, जांच का दायरा बढ़ना चाहिए


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WHO की प्रौद्योगिकी प्रमुख मारिया वान केरखोवे (Head of Technology, Maria Van Kerkhove) ने कोविड-19 के लिए एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि "जांच का दायर बढ़ाना चाहिए और उन लोगों की भी जांच होनी चाहिए जिनमें संक्रमण के लक्षण या तो बहुत हल्के हैं या फिर हैं ही नहीं."


आपको बता दें, इससे पहले अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी (Health Agency) ने अपनी नीति में बदलाव किया था और कहा था कि संक्रमित लोगों के संपर्क में आए ऐसे लोग जिनमें संक्रमण के लक्षण नहीं है, उनकी जांच करने की कोई जरूरत नहीं है.


अमेरिका की नीति को ठहराया गया गलत


अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (Centers for Disease Control and Prevention) की नीति में बदलाव से पहले स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों से यह कहा गया था कि संक्रमित लोगों के 1.8 मीटर के दायरे में 15 मिनट से अधिक समय तक जो भी व्यक्ति आया है उसकी जांच की जाएगी.


हालांकि अब नए दिशा-निर्देशों (New Guidelines) के अनुसार कोरोना संक्रमित लोगों के करीबी संपर्क में आए लोगों में अगर संक्रमण के लक्षण नहीं हैं, तो उन्हें जांच करवाने की जरूरत भी नहीं है.


सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं कर रहे हैं लोग


केरखोवे ने कहा, "यह बहुत जरूरी है कि जांच को एक अवसर की तरह लिया जाए, ताकि संक्रमित लोगों को अलग किया जा सके, उनके संपर्कों का पता लगाया जा सके. संक्रमण फैलने की कड़ी को तोड़ने के लिए यह बुनियादी जरूरत है."


उन्होंने ये भी कहा कि ये एक चिंता का विषय है कि लोग अब सामाजिक दूरी (Social Distance) के नियमों का कड़ाई से पालन नहीं कर रहे है. मतलब सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. केरखोवे के मुताबिक मास्क (Mask) पहनने के बाद भी कम से कम एक मीटर की दूरी बनाए रखना जरूरी है.


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