कोरोना संकट के बीच दिल्ली में प्राईवेट स्कूलों ने फीस बढ़ाई, अभिभावक चिंतित

कोरोना संकट के बीच दिल्ली के प्राईवेट स्कूलों ने अपनी फीस में बेतहाशा बढ़ोत्तरी कर दी है. जिसकी वजह से आर्थिक संकट में फंसे अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 27, 2020, 09:50 PM IST
    • दिल्ली के प्राईवेट स्कूलों का जुल्म
    • अचानक बढ़ा दी फीस
    • कोरोना संकट में फंसे लोगों पर भारी बोझ
कोरोना संकट के बीच दिल्ली में प्राईवेट स्कूलों ने फीस बढ़ाई, अभिभावक चिंतित

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (CoronaVirus) ने देश में आर्थिक गतिविधियां मंद कर दी हैं. जिसकी वजह से लोगों की आमदनी प्रभावित हुई है. लेकिन इस बीच दिल्ली के प्राईवेट स्कूलों ने मंदी से जूझते अभिभावकों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कया है. बाजार में आई मंदी और बढ़ती बेरोजगारी के बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली  में शिक्षा महंगी हो गई है. यहां के कई प्राइवेट स्कूलों  ने फीस (School Fee) में 50 फीसदी तक बढ़ोत्तरी को ऐलना कर दिया है. इस खबर ने अभिभावकों की चिंता कई गुना बढ़ा दी है.

स्कूलों के शुल्क में भारी बढ़ोत्तरी
दिल्ली की रहने वाले पेरेंट्स बता रहे हैं कि उनके दोनों बच्चे एक बड़े प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं. लेकिन इस बार जब उन्होंने फीस भरने के लिए ऑनलाइन पोर्टल खोला तो उन्हें पता चला की फीस करीब 4 हजार रुपये तक बढ़ चुकी है. जहां पहले उन्हें अपने एक बच्चे की फीस के लिए हर महीने 9100 रुपये भरने होते थे, वहीं इस बार उनसे 13,414 रुपये फीस मांगी जा रही है. शिल्पा परेशान है कि कैसे वह बड़ी हुई फीस स्कूल में जमा कराएं, क्योंकि महामारी की वजह से पैसों की तंगी पहले ही सताने लगी है.

दिल्ली के कुछ स्कूलों की फीस में 50 फीसदी इजाफा

फीस बढ़ाने वाले दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में कई ऐसे भी हैं जिन्होंने बिना नोटिस दिए ही स्कूल फीस बढ़ा दी है. फीस में इजाफा 5 या 10 फीसदी का नहीं है, बल्कि कई प्राइवेट स्कूलों ने 50 फीसदी तक पैसे बढ़ाए हैं. इसकी सूचना के बाद से ही अभिभावक फीस बढ़ोत्तरी का विरोध कर रहे हैं. ऐसे में बढ़ा सवाल है कि क्या सरकार इस मामले में दखल देते हुए कुछ कदम उठाएगी या दिल्ली के प्राइवेट स्कूल ऐसे ही अपनी मनमर्जी करते रहेंगे.

सरकार ने दिया था फीस नहीं बढ़ाने का आश्वासन
दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की प्रेसिडेंड अपराजिता गौतम ने कहा कि कोरोना काल में सरकार ने स्कूलों को ये आदेश तो दिया था कि वो ट्यूशन फीस के अलावा कोई और फीस चार्ज ना करें. लेकिन इसके लिए कोई कानून नहीं बनाया गया. जिसका नतीजा ये हो रहा है कि अब स्कूलों ने अपनी मनमानी शुरू कर दी है.

स्कूल बने कमाई का अड्डा 

इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि स्कूल अब पीटीए फंड (PTA Fund), स्कॉलरशिप फंड (Scholorship Fund), ऑपरेशनल चार्ज (Operational Charge), टेक्नोलॉजी फीस (Technology Fees), डेवलपमेंट फीस (Development Fees) और एनुअल चार्ज (Annula Charge) के नाम पर फीस बना रहे हैं. 

अभिभावकों से मांगा जा रहा है गरीबी का सबूत
फीस बढ़ोत्तरी की खबर सुन कुछ पेरेंट्स ने आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए कॉलेज से छूट की मांग की तो मैनेजमेंट ने अभिभावकों से इसके सबूत मांग लिए. स्कूल मैनेजमेंट ने कई अभिभावकों को ईमेल के जरिए आर्थिक तंगी के सबूत देने की मांग की है. पेरेन्ट्स एसोसिएशन ने इस मामले में सरकार की दखलअंदाजी की जरुरत बताई है. उनका कहना है कि जब तक इस पर सरकार कोई सख्त कानून नहीं लाती है, तब तक आम इंसान कोरोना वायरस के कारण होने वाली महंगाई की मार झेलता रहेगा. 

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