चाचा जिनपिंग बनना चाहते हैं माओ से भी बड़े तानाशाह
चाचा नेहरू की तरह चाचा जिनपिंग भी चीन में बच्चों के प्रिय दिखने की कोशिश करते हैं तो कभी गरीबों की मदद करते दिखाए जाते हैं - ये कुछ और नहीं शी जिनपिंग का प्रोपोगंडा मिशन है. चीन के इस सबसे जहरीले इंसान को माओ से भी बड़ा चीनी तानाशाह बनने की सनक चढ़ी हुई है और यही सनक इस चीनी नेता और चीन के पतन का कारण बनने वाली है..
नई दिल्ली. शी जिंगपिंग की जहरीली नीयत और उसका कुटिल चेहरा आज दुनिया में बेनकाब हो चुके हैं. चीनी सरकार चलाने वाली चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का यह चेयरमैन चीन का तानाशाह बन चुका है लेकिन इस आदमी की सनक है कि ये माओ से भी बड़ा चीन का नेता बनना चाहता है और इसके लिए ये सारी दुनिया में चीन का साम्राज्य फैलाने के इरादों के साथ आगे बढ़ रहा है.
चीन को लगता है तानाशाही आने वाली है
चीन की जनता सोच रही है कि शी जिनपिंग आने वाले दिनों में चीन के तानाशाह बन जाएंगे. शायद उसे नहीं पता कि माओ का आधुनिक चेहरा बना हुआ चीन का यह नेता पहले ही तानाशाह बन चुका है जिसने अपने आपको आजीवन चीन का शासक नियुक्त कर लिया है. चीन की जनता ने सोचा था कि क्रूर तानाशाह माओ के बाद चीन में राजनैतिक नेताओं की शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा. किन्तु यह अंकुश शी जिनपिंग ने बेआवाज़ तोड़ दिया है और अब आलम ये है कि जिनपिंग के खिलाफ उठने वाली हर आवाज़ बेआवाज़ कर दी जाती है.
आठ साल पहले शीर्ष पर बैठा था ये नेता
वर्ष 2012 में शी जिनपिंग चीन की शीर्ष राजनैतिक कुर्सी पर बैठा था तो दुनिया में किसी को सपने में भी ये अनुमान नहीं था कि ये इंसान चीनी तानाशाही का नया इतिहास लिखने जा रहा है. इस साल जिनपिंग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बना और चीन की सेना का चैयरमैन भी. छह साल बाद वर्ष 2018 में चीन के साथ साथ सारी दुनिया को पता चला कि अब ये नेता चीन के संविधान से भी बड़ा हो चुका है और अपनेआप को आजीवन चीन का शासक बना चुका है.
चीन के संविधान को बनाया गुलाम
चीनी मीडिया शिन्हुआ ने बताया है कि आने वाले दिनों में होने वाली चीन की आगामी राष्ट्रीय कांग्रेस में संवैधानिक बदलाव किए जाने हैं. शिन्हुआ की इस रिपोर्ट से पता चलता है कि चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी चीन के संविधान के उस प्रावधान को हटाने जा रही है जिसमें राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के लिए लगातार दो कार्यकाल की अधिकतम सीमा तय है. दूसरे शब्दों में अब संवैधानिक तौर पर चीन का राष्ट्रपति अर्थात जिनपिंग हमेशा के लिए चीन का राष्ट्रपति बन जाएगा. नेशनल कांग्रेस शी जिनपिंग की इतनी बड़ी गुलाम है कि जिनपिंग के हर फैसले को बिना किसी सवाल के सर माथे लिया जाता है.
विरोधियों को पहुंचाया यमलोक
शी जिनपिंग अपने विरोध में उठने वाली आवाज़ को पसंद नहीं करता. वह विरोधियों की उन सारी कोशिशों को ठिकाने लगा देता है जो उसकी सरकार के लिए अस्थिरता पैदा कर रही हों. उसने एक अभूतपूर्व भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की शुरुआत की और उसके माध्यम से अपने राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाया. उनको मौत की सज़ा सुनाई या मरवा दिया - कुल मिला कर अपने विरोधियों को साफ़ कर दिया शी जिनपिंग ने. अब जिनपिंग देश का हर फैसला अकेले लेता है और इसी नजरिये से उसे ब्रिटेन की मीडिया ने 'चेयरमैन ऑफ़ एवरीथिंग' करार दिया है.
सोशलिज़्म पर शी जिनपिंगज़्म छा गया
2012 में सर्वोच्च चीनी नेता बनने के बाद जिनपिंग ने अपने राजनैतिक विरोधियों, सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं और सिविल सोसाइटी के विरोधियों की आवाज़ दबानी शुरू की. माओ के बाद अब पचास साल बाद चीन की जनता ने चीन सरकार विरोधी सुर वाले लोगों पर भयंकर सरकारी सख्ती होते देखी. हर वो आज़ादी छीन ली गई जो सरकार की आज़ादी छीन सकती हो.
व्यक्तिपूजा की शुरुआत को जन्म दिया शी ने
2019 के अक्टूबर महीने में शी का बयान आया था कि चीनी चरित्र वाले समाजवाद के ऊपर अब शी जिनपिंग की विचारधारा एक नए युग की शुरुआत कर रही है. तानाशाही चेहरा दिखाती शी जिनपिंग की एक नई घोषणा हाल में सामने आई थी जिसमें चीन की जनता के नाम संदेश दिया गया था कि चीन की सरकार चीन की सेना, चीन के समाज और चीन के स्कूल, उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम- पार्टी सभी की नेता है.
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