नई दिल्ली: यूक्रेन के खिलाफ रूस की करतूत पूरी दुनिया देख रही है. यूक्रेन में रूसी हमले से तबाही और बर्बादी का आलम है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने पुतिन को कड़ी सजा दी है. इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घोषणा करते हुए कहा कि वह यूक्रेन पर मास्को के चल रहे युद्ध के मद्देनजर मानवाधिकार परिषद से रूस को निलंबित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा भारी वोट की सराहना करते हैं.


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राष्ट्रपति बाइडेन ने बताया सार्थक कदम


व्हाइट हाउस द्वारा गुरुवार रात जारी एक बयान में, बाइडेन ने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा एक सार्थक कदम है जो आगे दर्शाता है कि कैसे (रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर) पुतिन के युद्ध ने रूस को एक अंतर्राष्ट्रीय कम्युनिटी बना दिया है.


उन्होंने कहा, 'अमेरिका ने इस वोट को चलाने के लिए दुनिया भर में हमारे सहयोगियों और भागीदारों के साथ मिलकर काम किया है, क्योंकि रूस मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन कर रहा है. रूसी सेना युद्ध अपराध कर रही है. मानवाधिकार परिषद में रूस का कोई स्थान नहीं है.'


उन्होंने ये भी कहा कि 'आज के ऐतिहासिक वोट के बाद, रूस परिषद के काम में भाग नहीं ले पाएगा और वहां अपना दुष्प्रचार नहीं फैला पाएगा क्योंकि परिषद का जांच आयोग यूक्रेन में रूस के उल्लंघन और मानवाधिकारों के हनन की जांच कर रहा है.'


बूचा नरसंहार पर बोले अमेरिकी राष्ट्रपति


अमेरिकी राष्ट्रपति ने बूचा सहित यूक्रेन के नष्ट हुए शहरों से सामने आई तस्वीरों को 'भयावह' और 'मानवता के लिए अपमान' बताया. बाइडेन ने सभी देशों से मास्को की "यूक्रेन के खिलाफ अकारण और क्रूर आक्रामकता की निंदा करने और स्वतंत्रता के लिए उनकी लड़ाई में यूक्रेन के बहादुर लोगों का समर्थन करने" का आह्वान किया.


बाइडेन ने बयान में कहा, 'हम दुनिया भर के जिम्मेदार देशों के साथ काम करना जारी रखेंगे ताकि रूस को हो रहे अत्याचारों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सके, रूस की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ाया जा सके और रूस को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग किया जा सके.'


गुरुवार का प्रस्ताव, अमेरिका, यूक्रेन और उनके सहयोगियों द्वारा प्रस्तावित, रूसी सैनिकों के यूक्रेनी शहर से हटने के बाद बूचा से सामने आई भयानक इमेजिस और हत्याओं और अत्याचारों की भयावह कथाओं के बाद आया.


UNHRC से बाहर हुआ रूस


इसे 93 मत मिले, जबकि 24 देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया, 58 ने मतदान नहीं किया और 18 पूरी तरह से मतदान से दूर रहे. मतदान के तुरंत बाद, रूस ने घोषणा करते हुए कहा कि वह स्वेच्छा से 47 सदस्यीय परिषद से हट रहा है. रूस के उप स्थायी प्रतिनिधि गेन्नेडी कुजमिनिन ने 'पश्चिमी देशों और उनके सहयोगियों द्वारा मौजूदा मानवाधिकार वास्तुकला को नष्ट करने के प्रयास' के रूप में प्रस्ताव की निंदा की.


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संयुक्त राष्ट्र महासभा के 2006 के प्रस्ताव में परिषद की स्थापना के लिए किसी देश को यदि वह मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन करता है तो निलंबित करने की अनुमति दी गई है. परिषद के एक सदस्य का एकमात्र अन्य निलंबन 2011 में हुआ था जब विधानसभा ने लीबिया को अस्थायी रूप से हटाने के लिए मतदान किया था.


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