नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के 3 दिवसीय दौरे पर हैं. अपने दौरे के दौरान प्रधानमंत्री को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ-साथ जापान के पीएम योशिहिदे सुगा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन से द्विपक्षीय वार्ता करनी है और संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित भी करना है. एक ऐसा मौका जब दुनिया के कई मुल्कों के नेता अमेरिकी सरजमीं पर इकट्ठा हो रहे हैं, तो एक अंजान खतरे से अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियों के होश उड़े हुए हैं. ये उस अंजान और घातक हथियार के हमले का खतरा है जिसका शिकार अमेरिका साल 2016 से कई बार हो चुका है.


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क्या है वो सीक्रेट हथियार, जिसे अमेरिका भी नहीं समझ सका?


पिछले दिनों जब अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा किया तो अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के डायरेक्टर विलियम बर्न्स ने काबुल की यात्रा से पहले नई दिल्ली और इस्लामाबाद की गुप्त यात्रा की थी. ये ऐसी यात्रा थी जिसे अत्यन्त गोपनीय रखा गया था फिर भी अमेरिकी न्यूज एजेंसी सीएनएन के मुताबिक तीन सूत्रों ने खुलासा किया कि अमेरिकी जासूसी एजेंसी के मुखिया के इस दौरे पर उनकी टीम के एक सदस्य में हवाना सिंड्रोम की शिकायत सामने आई. हवाना सिंड्रोम ही वो अबूझ पहेली है जिससे अमेरिकी जासूस और डिप्लोमेट दो चार हो रहे हैं और उन्हें इस पहेली के पीछे का राज समझ नहीं आ रहा है.


अदृश्य हथियार का पता लगाने में जुटा है अमेरिका


महज एक महीने में ये दूसरा ऐसा हमला है जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासनिक अफसरों को विदेशी धरती पर झेलना पड़ा है. पिछले महीने उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के वियतनाम के दौरे से ठीक पहले उनकी टीम के कई सदस्यों पर हवाना सिंड्रोम का हमला हुआ जिसकी वजह से उनके दौरे में देरी भी हुई. सुरक्षा के लिहाज से अमेरिका मौजूदा वक्त में एक अदृश्य हथियार का पता लगाने में जुटा है जिसके बारे में अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों के पास दरअसल कोई सुराग भी नहीं है. इसी साल गर्मियों की शुरुआत के साथ 100 दिन की खुफिया जांच शुरू हुई है, इससे पहले भी तमाम तरह की जांच हुईं, लेकिन अब भी अमेरिका हवाना सिंड्रोम के अटैक को समझ नहीं सका है.


हैरान कर देने वाली बात ये है कि जिस दौरे को CIA ने टॉप सीक्रेट रखा, उस दौरे पर किसी ने हवाना सिंड्रोम के हमले को कैसे प्लान किया और कैसे उसे अंजाम तक पहुंचाया, जिसमें CIA डायरेक्टर की टीम के एक सदस्य को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.


क्या है हवाना सिंड्रोम, हमला होने पर क्या होता है?


साल 2016 से 2017 के बीच में क्यूबा की राजधानी हवाना में अमेरिकी दूतावास में काम करने वाले अधिकारियों को अजीब बीमारियां होने लगीं. सुनने की शक्ति कम होना, बेहोशी आना, शरीर पर नियंत्रण में कमी और दूसरी तरह की न्यूरोलॉजिकल बीमारियों ने इसे हवाना सिंड्रोम का नाम दिया. जितने लोगों को ये बीमारी हुई सबने शिकायत की कि उन्हें पहले एक अजीब सी और तेज आवाज सुनाई दी, दिमाग पर एक दबाव या वाब्रेशन महसूस हुआ, कान या सिर में तीखा दर्द महसूस हुआ. कुछ लोगों में ये चीजें आकर चली गईं तो कुछ लोगों में नींद ना आने और सिरदर्द की शिकायत हमेशा के लिए बनी रही.


कैसे होता है हवाना सिंड्रोम का हमला?


शुरुआत में इसे एक बीमारी माना गया लेकिन समय के साथ ऐसी कई घटनाएं सामने आईं जिसमें विदेश में अमेरिकी अधिकारियों, जासूसों, राजनयिकों और उनके परिवार के लोगों में ऐसी ही बीमारियों के लक्षण देखने को मिले. सिर्फ अमेरिकन डिप्लोमेट्स पर होने वाले ऐसे हमलों की जांच में माना गया कि माइक्रोवेव या डायरेक्ट एनर्जी वेपन का इस्तेमाल कर के विदेशी धरती पर अमेरिकियों को निशाना बनाया जा रहा है. क्यूबा के बाद रूस, चीन, ऑस्ट्रिया और दूसरे कई मुल्कों में ऐसे हमले किए गए. हवाना सिंड्रोम को लेकर हाल ही में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी बयान दिया था और कहा था कि ऐसे 300 मामले सामने आए हैं और इस मामले में खुफिया एजेंसियों को जांच में लगाया गया है.


न्यूयॉर्क में UNGA की बैठक पर ख़तरा क्यों?


सवाल है कि अगर विदेशी धरती पर अमेरिकी डिप्लोमेट्स और जासूसों को ही निशाना बनाया जा रहा है तो न्यूयॉर्क में होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में विदेशी डेलिगेट्स पर खतरा क्यों है? दरअसल पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के समय में व्हाइट हाउस पर हवाना सिंड्रोम का हमला किया गया था. ट्रम्प के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के दो सदस्यों पर उस समय हमला किया गया जब वो व्हाइट हाउस में दाखिल हो रहे थे और इस हमले से वो वहीं पर बेहोश हो गए थे. अब ऐसे में आशंका है कि कोविड संकट काल के बाद अमेरिका में आयोजित हुए इस सबसे बड़े आयोजन पर उन हमलावरों की नजर होगी जो CIA के जासूसों तक को निशाना बना चुके हैं.


अमेरिकी सरकार क्या कर रही है?


हवाना सिंड्रोम के हमलों में तेजी देखी जा रही है, इसलिए कई स्तर से इस पर जांच चल रही है. अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अलावा अमेरिकी सरकार भी साइंटिस्ट्स के साथ मिलकर इसकी जांच कर रही है. जब से जो बाइडेन ने राष्ट्रपति की कुर्सी संभाली है तभी से उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम हवाना सिंड्रोम की रहस्यमयी घटनाओं की जांच में जुटी हुई है. CIA प्रवक्ता के मुताबिक, "हम इस मामले के तह तक जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमने इसके लिए अपनी सबसे अच्छी टीम को लगाया है. बिन लादेन की तलाश के लिए जिस तरह की जद्दोजहद चली थी, वैसी ही जद्दोजहद हम इन रहस्यमयी घटनाओं के लिए भी कर रहे हैं" हालांकि हवाना सिड्रोम का ऐसा खौफ है कि हालात ये हैं कि अमेरिकी डिप्लोमेट और अमेरिकी जासूस विदेशों में होने वाली तैनाती पर जाने से डरने लगे हैं.


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