नई दिल्ली. अमेरिका में हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की स्पीकर नैन्सी पेलोसी चीन की धमकियों के बावजूद ताइवान पहुंच चुकी हैं. नैन्सी पेलोसी अमेरिका की वरिष्ठ राजनेता हैं और बीते कई दशकों से डेमोक्रेटिक पार्टी की टॉप लीडरशिप का हिस्सा हैं. भारतीय परिप्रेक्ष्य में नैन्सी पेलोसी का राजनीतिक पद इस वक्त अमेरिका में 'लोकसभा अध्यक्ष' जैसा है. अमरेका के हाउस ऑफ रिप्रजेंटिव को निचला सदन कहते हैं जो भारत में लोकसभा है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

नैन्सी पेलोसी इस वक्त एशिया टूर पर हैं. उनके इस टूर में ताइवान जाने को लेकर चीन के साथ अमेरिका की तनातनी चरम पर है. नैन्सी पेलोसी के ताइवान पहुंचने को लेकर चीन कह चुका है कि यह आग से खेलने जैसा है. बीते 25 वर्षों में ताइवान पहुंचने वाली नैन्सी सबसे बड़े पद की अमेरिकी नेता हैं. चीन ने ताइवान के नजदीक इन घटनाक्रमों को देखते हुए वॉरशिप तैनात कर दिए हैं. ताइवान भी युद्ध की आहट के बीच पूरी तरह अलर्ट पर है. 


कौन हैं नैन्सी
इटली मूल की अमेरिकी नैन्सी का परिवार अमेरिका में बड़ा राजनीतिक रसूख रखता है. वो साल 1987 से कैलिफोर्निया से सासंद हैं. डेमोक्रेटिक पार्टी की सदस्य नैन्सी अमेरिकी इतिहास में इकलौती महिला हैं जो निचले सदन की स्पीकर बनी हैं. नैन्सी के पिता थॉमस डी' एलेज़ांद्रो जूनियर भी अमेरिका में बड़े नेता की हैसियत रखते थे. एलेज़ांद्रो जूनियर के पांच बेटे और इकलौती बेटी नैन्सी हैं. नैन्सी के पांचों भाई अमेरिका में विभिन्न पदों पर रह रहे थे. उनके पांचों भाइयों की मृत्यु हो चुकी है. 


ताइपे पहुंचने के बाद चीन को दिखाया आईना
ताइपे पहुंचने के बाद नैन्सी पेलोसी ने कई ट्वीट कर ताइवान के साथ मजबूत अमेरिकी संबंधों का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है- हमारे प्रतिनिधिमंडल की यात्रा बताती है कि ताइवान के समृद्ध लोकतंत्र के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता अटूट है. ताइवान लीडरशिप के साथ वार्ता सहयोगियों के प्रति हमारे समर्थन को सुनिश्चित करती है. साथ ही यह उन साझा हितों को भी प्रोत्साहित करती है जो खुले इंडो-पेसिफिक क्षेत्र के पक्ष में हैं. 


उन्होंने लिखा- ताइवान के 2.3 करोड़ लोगों के साथ अमेरिका का सहयोग पहले किसी भी वक्त से अभी ज्यादा है. क्योंकि दुनिया को इस वक्त तानाशाही और लोकतंत्र के बीच चुनाव करना है. हमारी ताइवान यात्रा पूर्व में हुई अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों की यात्रा से अलग नहीं है. और ये किसी भी रूप में अमेरिकी की नीतियों के खिलाफ नहीं है, न ही किसी संधि का उल्लंघन है.


चीन दे चुका है धमकी
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने पेलोसी की यात्रा को संधि का उल्लंघन बताया था. उन्होंने कहा था कि वाशिंगटन के इस धोखे के कारण अमेरिका की अपनी विश्वसनीयत खतरे में पड़ गई है. अमेरिका के कुछ नेता आग के साथ खेल रहे हैं और इसके परिणाम निश्चित तौर पर अच्छे नहीं होंगे.  


 


यह भी पढ़िए: पाकिस्तान में महंगाई से मचा त्राहिमाम, भारत की तुलना में 10 फीसदी ज्यादा


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.