नई दिल्लीः पाकिस्तान को अस्तित्व में आए 75 साल हो चुके हैं, लेकिन यहां कोई भी सरकार कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई है. इमरान खान भी अपनी सत्ता 5 साल तक चलाने में फेल हो गए. 


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सरकारों के कार्यकाल पूर्ण न कर पाने के पीछे कई कारण हैं. सबसे बड़ा कारण है, पाकिस्तान की राजनीति में सेना का दखल और पाकिस्तान की जनता का सरकारी संस्थानों पर विश्वास न होना. 


वर्तमान में पाकिस्तान में पैदा हो रही राजनीतिक अस्थिरता की कई अन्य वजहें हैं जैसे- बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और घटता विदेशी मुद्रा भंडार, लेकिन तमाम राजनीतिक सूरमा इस बात के लिए आश्वस्त थे कि इमरान सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर लेगी, लेकिन पाकिस्तान ने अपना इतिहास दोहराया और सूरमा गलत साबित हुए.


8 साल पाक ने देखा सेना का शासन
पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में सिर्फ 37 वर्ष ही जनतांत्रिक सरकारें रहीं, जिनमें कुल 22 प्रधानमंत्री हुए, लेकिन इन 22 में से कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया. पाकिस्तान में अब तक 32 वर्ष सेना ने सीधे शासन किया और तकरीबन 8 वर्षों तक यहां की अवाम ने राष्ट्रपति शासन देखा.


सेना का सीधा हस्तक्षेप अस्थिरता का बड़ा कारण
पाकिस्तान में अस्थिरता के पीछे सेना का सिविलियन सरकार में सीधा दखल एक बड़ा कारण है. पाकिस्तान में अब तक तीन बार सैन्य तख्तापलट हो चुका है और अप्रत्यक्ष रूप से हर सरकार में सेना का हस्तक्षेप रहता है. वर्तमान सरकार भी 'हाइब्रिड सरकार' थी. वर्तमान सरकार, जिसमें प्रधानमंत्री तो इमरान खान थे लेकिन उसे चला सेना ही रही थी.


गठबंधन सरकार की सीमाएं
पाकिस्तान में विविधता होने की वजह से किसी भी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलना बहुत मुश्किल होता है. जिस कारण यहां गठबंधन सरकार बनती है, लेकिन सत्ता के लालच के कारण सरकार का कार्यकाल पूर्ण होने से पहले ही राजनीतिक पार्टियों के बीच आपस मे कलह हो जाती है और इसी कारण सत्ता पांच साल तक चल नही पाती है. इन सबके चलते पाकिस्तानी अवाम को अब अपने नेताओं पर भरोसा भी नही बचा है.


आइडेंटिटी क्राइसिस भी अस्थिरता की एक वजह
पाकिस्तान की अस्थिरता की बड़ी वजहों में उसका आइडेंटिटी क्राइसिस भी है. दरअसल हर गली में हिंदुस्तान से खतरे जैसी बातें सुनने को मिलती हैं.पाक को लगता है कि भारत कभी भी उस पर हमला कर उसे नक्शे से मिटा देगा. इसी आइडेंटिटी क्राइसिस के कारण वहां की सेना का सिविलियन सरकार के ऊपर हमेशा से दबदबा रहता है और जिस कारण भी वहां कई बार अस्थिरता उत्पन्न हो जाती है. 


आतंकवाद को बढ़ावा देने के कारण अब पाकिस्तान धीरे-धीरे पूरे विश्व में आतंकी देश के तौर पर जाना जाने लगा है, जिससे तमाम देशों ने उससे दूरी बनाई है.


सरकारी संस्थानों पर जनता को विश्वास नहीं
पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता के चलते आवाम का सरकारी संस्थानों से मोहभंग हो चुका है. साल 1956 में एक आम सहमति बनाई गई और पाकिस्तान के पहले संविधान की घोषणा की गई और उसके दो वर्षों के अंदर सेना प्रमुख जनरल अयूब खान ने सैन्य तख्ता पलट कर दिया. पाकिस्तान में आज तक कोई भी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई है, जिस कारण वहां के नागरिकों को अपने संस्थानों पर विश्वास नहीं है.


आर्थिक संकट से गुजर रहा है पाकिस्तान
पाकिस्तान अब तक के सबसे बड़े आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. पाकिस्तानी नागरिकों और विपक्ष का आरोप है कि इमरान सरकार की नीतियों के कारण ही पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इस हद तक चरमराई है. 


पाकिस्तान में महंगाई पिछले कुछ समय से रिकॉर्ड स्तर पर है और जब विपक्ष ने इमरान खान सरकार पर आरोप लगाया तो उन्होंने इस मसले पर गंभीरता दिखाने के बजाय पलटवार करते हुए कहा, 'मैं आलू और टमाटर के दाम जानने राजनीति में नहीं आया.'
 
इमरान की विदेश नीति भी बुरी तरह फेल
इमरान खान की विदेश नीति भी बुरी तरह फेल साबित हुई है. विपक्ष ने इसकी आलोचना कर रहा है. चीन और रूस के साथ पाकिस्तान की नीति और दूसरी ओर अमेरिका को लेकर इमरान खान के रवैये पर भी विपक्षी पार्टियों ने सवाल उठाए हैं. इमरान खान ने सरकार में आने से पहले चुनावी भाषणों में वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह देश को कर्जमुक्त कराएंगे. 


सरकार में आने के बाद पाकिस्तान को कर्ज मुक्ति से तो दूर, उन्होंने देश को और कर्ज की ओर धकेल दिया. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के अनुसार जुलाई 2021 से जनवरी 2022 के बीच पाकिस्तान का पब्लिक डेब्ट 9.5 फीसदी बढ़ा है. आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान अब तक के सर्वाधिक कर्ज में चला गया है. अभी पाकिस्तान के ऊपर 51.724 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये का कर्ज है.


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