नई दिल्ली: Bilawal Bhutto in Pakistan Politics: पाकिस्तान की सियासत में उठापटक का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनकी सरकार की धड़कन तेज कर दी है. पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के एक करीबी नेता के एक बयान से पाकिस्तान की सियासत में भूचाल आ गया है. पाकिस्तानी मीडिया में जल्द ही शरीफ सरकार गिरने का दावा भी किया जा रहा है.


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इमरान की पार्टी के लिए बातचीत के दरवाजे खुले
दरअसल, बिलावल भुट्टो जरदारी की पार्टी के नेता खुर्शीद शाह ने कहा है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के संस्थापक और पूर्व PM इमरान खान हमसे बात करना चाहते हैं तो हम उनकी पार्टी उनके साथ बातचीत करने के लिए तैयार है. बिलावल भुट्टो के पिता और पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भी कहा है कि बातचीत से ही समस्याओं को सुलझाने की कोशिश होनी चाहिए.


बिलावल की पार्टी का मोहभंग क्यों हुआ?
पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार नासिर काजमी कहते हैं कि PPP और PML-N (शरीफ की पार्टी) के बीच खटास का दौर पहले ही शुरू हो गया था. 9 मई की घटना पर शरीफ सरकार बड़ा एक्शन लेने वाली थी. जो लोग उस घटना में लिप्त थे, उनका मिलिट्री कोर्ट्स में ट्रायल करने की बात उठी थी. लेकिन PPP इस बात से इत्तेफाक नहीं रखती थी. लिहाजा, सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा. एक कारण ये भी हो सकता है कि PPP दबाव बनाने की राजनीति पर काम कर रही हो. देश में महंगाई का दौर है, बिजली के दाम हद से ज्यादा बढ़ गए हैं. PPP नहीं चाहती कि इसका दोष उन पर मढा जाए. इसलिए वे समय-समय पर जनता को जताते रहते हैं कि हम खुद भी सरकार से नाराज हैं. दूसरी ओर, इमरान के प्रति लोगों में सहानुभूति है, PPP इसे भी भुनाना चाहती है.


क्या साथ आ सकती हैं PPP और PTI?
नासिर काजमी कहते हैं कि सियासत में पार्टियां एक-दूसरे के लिए दरवाजे कभी बंद नहीं करती हैं. वे बेशक एक-दूसरे की मुखालिफत करती रहें, लेकिन बातचीत का दौर जारी रहता है. आसिफ अली जरदारी भले देश के राष्ट्रपति बन गए हैं. लेकिन PPP के आंतरिक मामले वही देखते हैं. पाकिस्तान में ऐसा कहा जाता है आसिफ अली दाएं हाथ से जो काम करते हैं, वो बाएं हाथ को भी नहीं पता पड़ता. इमरान खान की सरकार के दौरान PML-N के नेताओं पर काफी मुकदमे दर्ज हुए, कार्रवाई हुई. जबकि PPP के नेताओं पर इसके मुकाबले कम केस दायर हुए. ऐसे में दोनों पार्टियां साथ आ जाएं तो चौंकने की जरूरत नहीं है.


गठबंधन हुआ तो इमरान की छवि पर डेंट होगा
नासिर काजमी ने कहा कि इमरान खान ने हमेशा से खुद की छवि ऐसे नेता के तौर पर पेश की है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ता है, मुल्क की राजनीतिक व्यवस्था को बदलना चाहता है और सियासत को परिवारवाद से मुक्त कराना चाहता है. इमरान PPP पर हमलावर रहे हैं. लेकिन अब वे PPP के साथ आते हैं और प्रधानमंत्री भी बन जाते हैं, तो उनकी छवि को डेंट पहुंचेगा. ये इमरान के राजनीतिक भविष्य के लिए ठीक नहीं रहेगा.


पाकिस्तान में नेशनल असेंबली की स्थिति
मालूम हो कि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली (Pakistan Assembly) में कुल 313 सीटें हैं. इसी साल फरवरी में चुनाव हुए. इस चुनाव में शहबाज शरीफ की पार्टी PML-N को 72, इमरान खान की पार्टी PTI को 100 और बिलावल भुट्टो की PPP को 54 सीटें मिलीं. PML-N और PPP साथ आए और सरकार बनी.


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