नई दिल्ली: Shivpal Yadav Future: सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने माता प्रसाद पांडे को विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष बनाया है. सोमवार को एक तस्वीर सामने आई, जिसमें माता प्रसाद विधानसभा में उस कुर्सी पर बैठे हैं, जहां अखिलेश यादव बैठा करते थे. बगल में शिवपाल यादव हैं, जिनके चेहरे के भाव कई लोग पढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. इसी बीच कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा भी किया जा रहा है कि शिवपाल यादव सक्रिय राजनीति से दूर जा सकते हैं.
शिवपाल नहीं बने नेता प्रतिपक्ष
दरअसल, अखिलेश यादव ने 2022 में करहल विधानसभा सीट से चुनाव जीता और सदन में नेता प्रतिपक्ष बने. फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव कन्नौज से जीतकर सांसद बने और उन्होंने विधानसभा की सदस्यता छोड़ी. इसके बाद नेता प्रतिपक्ष का पद खाली हो गया. कयास थे कि अखिलेश अपने चाचा शिवपाल यादव को ये जिम्मेदारी सौंप सकते हैं. लेकिन उन्होंने माता प्रसाद पांडे को नेता प्रतिपक्ष बनाया. पीडीए कार्ड के बाद अखिलेश ने ब्राह्मण वोटर्स को साधने की दिशा में कदम बढ़ाया है.
केशव प्रसाद बोले- चाचा की पीठ में छुरा घोंपा
यूपी सरकार में डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य भी इस मौके से नहीं चूके. उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर हमला करते हुए कहा कि PDA बहुत बड़ा धोखा है. इसके नाम पर प्रदेश की जनता को गुमराह किया गया है. नेता प्रतिपक्ष चुने जाने के मामले में ये सच्चाई सामने आ गई है. उन्होंने आगे कहा कि अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल की के पीठ में छुरा घोंपा है. शिवपाल को मायूसी मिली है.
लोकसभा चुनाव में भी नहीं मिला था टिकट
शिवपाल यादव को लोकसभा चुनाव 2024 में अखिलेश यादव ने टिकट नहीं दिया था. पहले उनका नाम आजमगढ़ से तय हुआ, लेकिन बाद में यहां पर धर्मेंद्र यादव को टिकट थमाया गया. फिर बदायूं से शिवपाल यादव के नाम का ऐलान हुआ. इसके बाद उनकी जगह बेटे आदित्य यादव को टिकट दिया गया. इस तरह से शिवपाल ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा. हालांकि, शिवपाल के बेटे आदित्य चुनाव जीत गए. शिवपाल ने टेकओवर करने के लिए अगली पीढ़ी को तैयार कर दिया है.
सक्रिय राजनीति से दूर जा सकते हैं शिवपाल?
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है कि शिवपाल यादव अब सक्रिय राजनीति से दूर जा सकते हैं. खुद सपा सुप्रीमो अखिलेश ने एक इंटरव्यू में कहा कि था कि 2027 का विधानसभा चुनाव परिवार का कोई सदस्य नहीं लड़ेगा. सिर्फ मैं लड़ सकता हूं. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में अखिलेश पर आरोप लगे कि उन्होंने अपने परिवार के 5 सदस्यों को टिकट दिया. अब अखिलेश के बयान से लगता है कि शिवपाल भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. उन्हें संगठन में कोई जिम्मेदारी मिल सकती है.
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