नई दिल्ली. चीन के कर्ज में मालदीव इतनी बुरी तरह डूबा हुआ है कि उसके इस कर्ज से उबर पाने की संभावना बहुत कम है. चीन के इस कर्ज का बोझ मालदीव के हर व्यक्ति के सिर पर साढ़े चार लाख रुपये का बोझ है. अब गेंद चीन के पाले में है जो मालदीव को एक निश्चित अवधि में कर्जा चुकाने की मांग कर उसे खरीद सकता है. 


आधी कमाई से अधिक का है कर्जा 


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भारत का पड़ोसी देश मालदीव गहरी चिंता में है क्योंकि वह चीन के कर्जे के मकड़-जाल में बुरी तरह फंस गया है. अपनी अर्थव्यवस्था के आधे से अधिक भाग के बराबर का चीनी कर्जा मालदीव को देना है. अब इस देश के सामने समस्या ये है कि ये कर्जा किस तरह को चुकाया जाये. 


पांच साल में लिया इतना कर्जा 


मालदीव ने सिर्फ पांच वर्षों में चीन से ये कर्जा ले लिया है. चीन के प्रोत्साहन देने पर मालदीव की पुरानी अब्दुल्ला यामीन सरकार ने 2013 से 2018 में बीच में चीन से काफी बड़ा कर्ज ले लिया. अब कर्जे का आकार मालदीव की परेशानी की वजह बन गया है. मालदीव नहीं समझ पा रहा है कि किस तरह से इस कर्ज से छुटकारा पाया जाए. मालदीव पर 3.1 अरब डॉलर का चीनी कर्ज है, दूसरी तरफ इस देश की पूरी अर्थव्यवस्था ही लगभग पांच अरब डालर की है.


चिन्ता की वजह है कर्जे की बड़ी राशि


मालदीव पर चीन के कर्ज की राशि 3.1 अरब डॉलर कुल 2282 करोड़ रुपए होती है, और ऐसी हालत में पर्यटन पर आधारित भारत का यहा छोटा पड़ौसी देश अपनी 5 लाख 16 हजार की आबादी के हर व्यक्ति के सिर पर 4.42 लाख रुपए के कर्जे को फिलहाल चुका पाने की स्थिति में नहीं है क्योंकि कोरोना काल में मालदीव की अर्थव्यवस्था पहले ही काफी खराब हो चुकी है.


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