नई दिल्ली.     चीन, भारत और फ्रान्स- ये तीन सबसे अहम फैक्टर्स हैं जो डोनाल्ड ट्रम्प को जिता सकते हैं जबकि रंगभेद और कोरोना दो ऐसे फैक्टर हैं जो जो बाइडेन के पक्ष में जा सकते हैं किन्तु उनको जिता सकेंगे या नहीं - ये कहना अभी संभव नहीं. कुल चुनाव परिणाम इस बारे में बिलकुल साफ निर्णय देने वाले हैं. 


चीन का मुद्दा है अहम


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जो बाइडेन साफ तौर पर चीन समर्थक प्रत्याशी के रूप में उभरे हैं जो किसी भी राष्ट्रवादी अमेरिकी को पसंद नहीं आने वाला है. इस कारण भले ही प्रशासनिक तौर पर डोनाल्ड ट्रम्प निकम्मे साबित हुए हों, उनका राष्ट्रवाद और उनका चीन विरोध उनके पक्ष में मतदान अवश्य करायेगा.


भारतवंशियों का ठोस समर्थन


ये कहना गलत होगा कि उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस के कारण अमेरिकी भारतीयों का ठोस समर्थन जो बाइडेन के पक्ष में जायेगा. ये स्थिति कुछ समय के लिये बनी थी जब डेमोक्रेटिक पार्टी से कमला देवी हैरिस के प्रत्याशी बनने की घोषणा हुई थी. उसके बाद खुद ही भारत विरोधी इस महिला ने अपना नकाब उतार दिया और स्पष्ट कर दिया कि मैं भारत से नहीं अफ्रीका से हूं. सीएए और कश्मीर मामले पर कमला का रुख भी भारतीयों को नापसंद आया है, इस कारण भी भारतीयों का ठोस मतदान ट्रम्प के पक्ष में जा सकता है.  


फ्रांस है सबसे अहम


ट्रम्प समर्थक इन तीन अहम मुद्दों में सबसे अहम है फ्रान्स.  फ्रान्स में जो हुआ वो ट्रम्प ने नहीं करवाया, इस्लाम के जिहादी विस्तारवाद और कट्टरता ने कराया. फ्रान्स की घटना की प्रतिक्रिया दोनो तरफ हुई किन्तु इस्लामिक जगत खुल कर इसके विरोध में खड़ा हुआ और क्रिश्चियन देशों ने हमेशा की तरह अपने सभ्य होने का परिचय दिया और खामोश रहे. किन्तु आम जनता चाहे वह फ्रान्स की  हो या अमेरिका की, कट्टरता के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया न दे, ऐसा तो हो ही नहीं सकता. और अमेरिका में यह प्रतिक्रिया डोनाल्ड ट्रम्प के पक्ष में ही जाने वाली है और यह कारक चुनाव का सबसे अहम पलट-कारक सिद्ध हो सकता है. 


दस करोड़ वोट भी कम अहम नहीं


जो लोग लगातार ये मान कर चल रहे हैं और इन चुनावों के पहले से कहते चले आ रहे हैं कि जो बाइडेन जीतेंगे, उनका अनुमान जमीनी अनुमान और मीडिया की सोच के साथ ही उनके अपने पूर्वाग्रह पर भी आधारित हैं. जबकि जो अंततोगत्वा होने वाला है उसका आकलन कर पाना फिलहाल आसान नहीं लगता. परंतु एक तथ्य अभी रहस्य बना हुआ है जो कुल साढ़े तैंतीस करोड़ अमेरिकी वोटों का लगभग एक तिहाई वोटों वाला बड़ा ठोस मतदान है, पेपर बैलेट का मतदान है जिसकी गिनती में अभी समय लगेगा. अर्ली वोटिंग और डाक मतपत्र के माध्यम से अब तक पौन दस करोड़ लोग वोट डाल चुके हैं और ये गिनती वर्ष 2016 में डाले गए वोटों से अधिक है. इस वोटिंग की गिनती करने में वक्त लगेगा और तब तक स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं मानी जा सकती. याद रखिये ऐसा मतदान दिल से होता है दल से नहीं. अमेरिका मे्ं राष्ट्रवाद के प्रतीक प्रत्याशी ट्रम्प हैं, बाइडेन नहीं. 

 


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