Brain Stroke Machine: आईआईटी कानपुर ने ब्रेन स्ट्रोक के लिए विश्व की पहली ऐसी डिवाइस बनाई है जो स्ट्रोक के 1 साल बाद भी मरीज को ठीक कर सकती है. आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल डिपार्टमेंट द्वारा विकसित की गई अत्याधुनिक डिवाइस का नाम 'ब्रेन कंट्रोल इंटरफेस' है. यह डिवाइस ब्रेन को एक्टिवेट करती है, जिससे स्ट्रोक के मरीजों की रिकवरी बहुत तेज होती है. स्ट्रोक के मामलों में फिजियोथेरेपी ही काम करती है.


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माना जा रहा है कि आईआईटी कानपुर की ये मशीन रामबाण साबित होगी. मरीज को जितनी जरूरत थेरेपी की होगी, उतनी थेरेपी इस मशीन से मिलेगी. इस मशीन का नाम ब्रेन कंट्रोल इंटरफेस (BCI) है. इसका पायलट स्टडीज पूरा हो चुका है. अब ये मशीन फाइनल ट्रायल के लिए तैयार है. अभी तक जो थेरेपी होती है वो डॉक्टर अपने हिसाब से देते थे. इसमें डॉक्टर को ये अंदाजा नहीं होता था कि मरीज को कितनी थेरेपी दें. बस उसे अंदाजे से थेरेपी कराते हैं. इस BCI सिस्टम को मैकेनिकल विभाग के विभागाध्यक्ष आशीष दत्ता की टीम ने तैयार किया है.


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मैनुअल फिजियोथेरेपी करने में कई बार लोगों का शरीर तो काम कर रहा होता है, लेकिन उनका दिमाग काम नहीं करता है. ऐसे में आईआईटी कानपुर द्वारा विकसित इस डिवाइस का उद्देश्य है कि दिमाग और शरीर के अंग का मूवमेंट एक साथ हो, जिससे रिकवरी बहुत तेज हो जाती है. इस डिवाइस का भारत और यूके में सफल क्लिनिकल ट्रायल हो चुका है. 


क्लिनिकल ट्रायल में ऐसे मरीजों को रखा गया, जिन्हें स्ट्रोक की समस्या एक साल से अधिक समय से थी. इन लोगों में बहुत तेज रिकवरी देखने को मिली है. अपोलो हॉस्पिटल के साथ इसका क्लीनिकल ट्रायल अभी भी जारी है. जल्द ही यह मशीन बाजार में होगी और बिना फिजियोथेरेपिस्ट की मदद के स्ट्रोक के मरीजो का इलाज संभव हो सकेगा. इस डिवाइस में ईईजी कैप को मरीज को पहनाया जाता है. इसके बाद डिवाइस की मदद से हाथ में मोशन कराया जाता है. ब्रेन का फोकस अगर हाथ पर नहीं होता है तो इसका पता लैपटॉप की स्क्रीन पर लग जाता है, जिससे मरीज अपना फोकस बढ़ाता है और रिकवरी फास्ट होती है.


(प्रवीन पांडे)


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