Adhbhut Himachal Ki sair: हर-हर महादेव...! सावन का महीना चल रहा है. हर तरफ बम-बम भोले के जयकारे गूंज रहे है. कहते है कि भोलेनाथ को सावन का महीना बेहद प्रिय है.


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अद्भुत हिमाचल की सैर में आज आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जहां से भगवान शिव और मां पार्वती ने महाभारत का युद्ध देखा था.


 



भूरेश्वर महादेव मंदिर 
भारत के कई शिवालय भोलेनाथ के चमत्कारों की गवाही भी देते हैं. उसी में से एक हैं भूरेश्वर महादेव मंदिर. सिरमौर जिला के नाहन में शिव भगवान का भूरेश्वर महादेव मंदिर स्थित है. इस मंदिर का इतिहास द्वापर युग से जुड़ा है. 


शिव-पार्वती ने महाभारत का युद्ध यहीं से देखा..! 
कहते हैं कि भगवान शिव और मां पार्वती ने महाभारत का युद्ध यहीं से देखा था. मंदिर की दीवार पर लिखी गई कहानी के अनुसार द्वापर युग में क्वागधार पर्वत शिखर पर बैठकर भगवान शिव और मां पार्वती ने कुरुक्षेत्र के मैदान में कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया महाभारत का युद्ध देखा था. तभी से यहां पर स्वयंभू शिवलिंग की उत्पत्ति मानी जाती है...


भाई-बहन की प्रचलित कथा
कहा जाता है कि मंदिर में स्थित शिवलिंग 35 से 50 फुट पर्वत के नीचे धरती तक समाया है.इस मंदिर को लेकर भाई-बहन की एक कथा भी प्रचलित है. किस्से- कहानियों की मानें तो एक भाई-बहन पशु चराने क्वागधार पर्वत श्रृंखला पर आते थे. अनजाने में दोनों स्वयंभू शिवलिंग के चारों तरफ घूमते थे.


ठंड में बछड़े की तलाश में निकले भाई-बहन
एक दिन भारी बारिश और बर्फबारी में पशु चराते समय उनका एक बछड़ा गुम हो गया. जब वे घर पहुंचे, तो सौतेली मां ने दोनों भाई- बहन को कड़ाके की ठंड में बछड़े की खोज के लिए क्वागधार पर्वत शिखर पर भेज दिया.


बछड़े की खोज में दोनों भाई-बहन शिखर पर शिवलिंग के पास पहुंचे. उनकी नजर बछड़े पर पड़ी. जो वहीं मौजूद था. भाई ने अपनी बहन को घर भेज दिया और खुद वहीं बछड़े के पास रूक गया.


दूसरे दिन जब पिता और बेटी बछड़े और भाई की खोज में शिखर पर पहुंचे, तो शिवलिंग के पास बछड़े और लड़के को बिल्कुल खामोश पाया, जो देखते ही देखते दिव्य शक्ति में अंतर्ध्यान हो गया.


बहन का विवाह काने व्यक्ति से करवाया 
वहीं, सौतेली मां ने लड़के की बहन का विवाह एक काने व्यक्ति के साथ कर दिया. बारात उसी रास्ते से गुजरी, जहां लड़की का भाई अदृश्य हुआ था. बहन ने वहां डोली रुकवाई और भाई को याद किया..भाई के वियोग में बहन ने डोली से छलांग लगा दी और कुछ दूरी के बाद वह भी अंतर्ध्यान होकर नीचे भाभड़ के घास के साथ पवित्र जल धारा के रूप में प्रकट हुई. 


अनजाने में की गई परिक्रमा से मिला आशीर्वाद 
कहा जाता है कि अनजाने में की गई परिक्रमा के आशीर्वाद से भाई-बहन शिवलोक को प्राप्त हुए...इस मंदिर में जो भी मुराद मांगी जाती है वह भोलेबाबा जरूर पूरी करते हैं..सावन के महीने में श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं.