चंडीगढ़- उत्तराखंड (Uttrakhand Char Dham) राज्य में चारों धाम के कपाट खुलते ही लोगों की भीड़ लगना शुरू हो गई. 


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राज्य में सबसे ज्यादा पैदल यात्रा केदारनाथ धाम (kedarnath Dham) में करनी पड़ती है और यहां श्रद्धालुओं का सहारा सबसे ज्यादा घोड़े-खच्चर बनते हैं. इस साल चार धाम की यात्रा जब से शुरू हुई तभी से सुर्खियों में बनी हुई है. 


करोना काल के 2 वर्ष के अंतराल के बाद 3 मई को चार धाम की यात्रा शुरु की गई थी. चार धाम यात्रा में एक महीने में अभी तक 15 लाख श्रद्धालु उमड़ चुके है.  3 मई से अभी तक यात्रा के दौरान ऐसी घटनाएं घटित हो चुकी है जिसके चलते उत्तराखंड सरकार पर अब सवाल उठ रहे है. सरकार को यात्रा की व्यवसथाओं और अन्य इंतजाम में अनदेखी के लिए भी अब घेरा जा रहा है.   


खच्चरों और घोड़ों की मौत:


चार धाम की यात्रा के दौरान खच्चरों और घोड़ों की मौत का मामला सामने आ रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 20 दिन में 60 से अधिक खच्चरों और घोड़ों की मौत हो गई है.


खच्चर मालिकों और संचालकों द्वारा जानवरों से अधिक काम करवाया जा रहा है. जानवरों से काम ज्यादा करवाने के लिए उन्हे नशीला पदार्थ दिया जा रहा है और उन्हे पिटा भी जा रहा है. 


पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने हाल ही में खच्चर संचालकों को जानवरों पर बोझ नहीं डालने की सलाह दी थी. इसके बाद भी हालात नही बदले है. 


आंकड़ों के मुताबिक केदारनाथ में लगभग 10 हजार के करीब संचालक घोड़े-खच्चरों का इस्तेमाल कर रहे हैं. बताया गया है कि अधिक पैसे कमाने की होड़ में वे इन जानवरों से क्षमता से ज्यादा काम ले रहे हैं.


अधिक संख्या में घोड़े-खच्चरों की मौत होने से अब प्रशासन सजग हो गया है. प्रशासन ने घोड़े-खच्चरों के स्वास्थ्य की नियमित जांच के साथ ही पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमे दर्ज करना शुरू कर दिए हैं.