कोमल भारद्वाज/मंडी: पहले गर्मी के कारण बर्फ पिघलने से ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ा और अब प्री-मॉनसून की दस्तक से नदी-नाले उफान पर हैं. मंडी जिला से होकर बहने वाली ब्यास नदी का जलस्तर भी काफी ज्यादा बढ़ गया है. ऐसे में प्रशासन ने लोगों से नदी किनारे न जाने की अपील की है. रविवार को लारजी डेम से भी सिल्ट निकलने का कार्य सुबह 6 बजे से शुरू किया गया है. 


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ब्यास नदी में छोड़ा जा रहा लगभग 22 हजार क्यूसिक पानी
वहीं, पंडोह डैम से अब लगभग 22 हजार क्यूसिक पानी प्रति सेकेंड की दर से छोड़ा जा रहा है. बीबीएमबी पंडोह के वरिष्ठ अधिशाषी अभियंता ई. राजेश हांडा ने बताया कि पंडोह डैम में लगभग 32 हजार क्यूसिक पानी प्रति सेकेंड की दर से आ रहा है, जिसमें से लगभग 22 हजार क्यूसिक पानी ब्यास नदी में छोड़ा जा रहा है. रूटीन के तहत बग्गी सुरंग में जो पानी भेजा जाता है यह वही पानी भेजा जा रहा है. 


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लोगों से की जा रही अपील
उन्होंने बताया कि पानी छोड़ने के लिए डैम के सिर्फ दो गेट जरूरत के हिसाब से खोले गए हैं. एक गेट से ही 70 हजार क्यूसिक पानी प्रति सेकेंड की दर से छोड़ने की क्षमता है, जबकि आज लगभग 22 हजार क्यूसिक पानी ही छोड़ा जा रहा है जो पीछे पानी का फ्लो आने पर कम किया जा सकता है. बरसात के दौरान जलस्तर बढ़ना और अधिक मात्रा में पानी छोड़ने की प्रक्रिया स्वभाविक है. उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में पहले से ही अलर्ट जारी किया जा रहा है और लोगों से अपील की गई है कि वे नदी-नालों के नजदीक न जाएं.


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सायरन और प्रचार वाहन के माध्यम से लोगों को किया जाएगा सूचित 
इसी के चलते बीबीएमबी प्रबंधन व जिला प्रशासन ने अलर्ट किया है ब्यास नदी के किनारे कोई भी व्यक्ति न जाए और अपने पशुओं को भी नदी के किनारे न छोड़ा जाए ताकि किसी तरह का जान माल का नुकसान हो. वहीं, राजेश हांडा ने बताया कि इस कार्य को सफलता पूर्वक करने के लिए नियमों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा और सायरन और प्रचार वाहन के माध्यम से लोगों को सूचित किया जाएगा.


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