Dharamshala Assembly Bypoll Election: हिमाचल प्रदेश में उपचुनाव और चार लोकसभा सीटों के लिए एक ही दिन 1 जून को मतदान होना है और वोटों की गिनती 4 जून को होगी. वहीं, राज्य की धर्मशाला सीट काफी हॉट मानी जाती है. वहीं, इसपर अब त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा.


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धर्मशाला विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला अब त्रिकोणीय मुकाबले में बदल गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि अब भगवा पार्टी के एक बागी ने स्वतंत्र के रूप में मैदान में उतरने का फैसला किया है. 


यह दूसरी बार है जब टिकट नहीं मिलने पर राकेश कुमार चौधरी ने अपनी पार्टी से बगावत कर दी है. जानकारी के लिए बता दें, 2019 में जब वह कांग्रेस के साथ थे. तो राकेश चौधरी ने अपनी पार्टी द्वारा टिकट से इनकार किए जाने के बाद उसी निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय के रूप में विधानसभा उपचुनाव लड़ा था.


हालांकि, वह चुनाव हार गए और भाजपा में शामिल हो गए. वहीं, एक बार फिर वो निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया. जब भाजपा ने कांग्रेस से आए सुधीर शर्मा को इस सीट से अपना उम्मीदवार बनाया. बता दें, सुधीर शर्मा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में चौधरी को हराया था. 


बता दें, राकेश चौधरी को 17 मई को हिमाचल प्रदेश भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने अपना नामांकन वापस लेने के लिए पार्टी के आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया. 


जानकारी के लिए बता दें, सुधीर शर्मा सहित छह कांग्रेस विधायकों की अयोग्यता के बाद राज्य की विधानसभा सीटें खाली हो गई. जिसमें धर्मशाला, सुजानपुर, गगरेट, लाहौल-स्पीति, बड़सर और कुटलैहड़ विधानसभा सीट शामिल है, जिनपर 1 जून को उपचुनाव होंगे.  


इन विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन को वोट दिया था. वहीं, ये विधायक अयोग्यता के बाद बीजेपी में शामिल हो गये. वहीं, भाजपा ने धर्मशाला सीट से सुधीर शर्मा को चुना. ऐसे में राकेश चौधरी को कांग्रेस से टिकट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन पार्टी ने धर्मशाला नगर निगम के पूर्व मेयर देविंदर जग्गी पर दांव लगाने का फैसला किया. 


बता दें, धर्मशाला से पांच बार भाजपा विधायक रहे किशन कपूर ने 2017 के विधानसभा चुनाव में सुधीर शर्मा को 2,997 वोटों से हराया था. वह 2019 में लोकसभा के लिए चुने गए और उपचुनाव की आवश्यकता के कारण सीट से इस्तीफा दे दिया. ऐसे में राकेश चौधरी ने भाजपा के विशाल नेहरिया के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन 6,758 वोटों के अंतर से हार गए. 


जानकारी के अनुसार, 1967 के बाद से धर्मशाला में उपचुनाव सहित 14 चुनावों में से जनता पार्टी और भाजपा ने आठ बार जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने छह बार सीट पर कब्जा किया और कोई भी निर्दलीय कभी नहीं चुना गया.


इस बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सुधीर शर्मा को अपना मुख्य निशाना बनाया है. साथ ही विधायकों पर पैसे के लिए अपनी आत्मा बेचने का आरोप लगाते हुए उन्हें विद्रोह के पीछे एक प्रमुख साजिशकर्ता करार दिया है. उन्होंने मतदाताओं से उन्हें उपचुनाव में हराकर दंडित करने की अपील भी की है. हालांकि, सुधारी शर्मा ने कहा है कि यह मुख्यमंत्री का उनके निर्वाचन क्षेत्र के प्रति अहंकार और भेदभाव था, जिसके कारण विद्रोह हुआ. बता दें, धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र में 86,603 मतदाता हैं, जिनमें 42,939 पुरुष और 42,702 महिलाएं शामिल हैं.