ज्ञान प्रकाश/पांवटा साहिब: राष्ट्रीय महत्व वाले श्री रेणुका जी बांध परियोजना से विस्थापितों ने सरकार के फैसलों को अन्यायपूर्ण बताया है. विस्थापितों का कहना है कि विस्थापितों को मकान बनाने के लिए दिए जा रहे 28 लाख रुपये बहुत कम हैं. विस्थापितों के लिए 4 स्थानों पर खरीदी गई जमीन में भारी गोलमाल हुआ है. समिति ने मांग की है कि विस्थापितों को पूर्ण विस्थापित का दर्जा दिया जाना चाहिए. समिति ने आरोप लगाया है कि सरकार और विभाग विस्थापितों की मांगों को नजरअंदाज कर रही है.


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श्री रेणुका जी बांध परियोजना से दिल्ली को पानी पहुंचाया जाना है. राष्ट्रीय महत्व की इस परियोजना में 160 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी होगा, लेकिन बांध प्रबंधन और सरकार अभी तक विस्थापितों के मामलों को सुलझाने में नाकाम रही है. जन संघर्ष समिति विस्थापितों की समस्याओं को सरकार प्रशासन और बांध प्रबंधन के समक्ष लगातार उठा रही है. इसके साथ ही समिति गांव चलो अभियान भी चला रही है.


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समिति के अध्यक्ष योगेंद्र कपिल एवं महासचिव संजय चौहान की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया जा रहा है. समस्याओं पर चर्चा के लिए गावाही, नड़ेल, खचटिया अणु, खुरकन, भलटा, मछैर आदि गांव में विस्थापितों की बैठकें आयोजिय की गईं. इन बैठकों में विस्थापितों ने बताया कि उनके लिए 4 स्थानों पर खरीदी गई जमीन में भारी गोलमाल हुआ है. यह भूमि कृषि योग्य भूमि नहीं है. ग्रामीणों ने सतर्कता विभाग द्वारा कई वर्षों से की जा रही जांच का किसी निष्कर्ष पर न पहुंचने पर भी रोष जताया.


संघर्ष समिति के अध्यक्ष योगेंद्र कपिल ने बताया कि विस्थापितों के लिए टोक्यो में खरीदी गई 58 बीघा जमीन बरसात में जलमग्न हो जाती है. उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विस्थापितों की स्थिति बेहद दयनीय है. उन्होंने कहा कि विस्थापित परिवारों के लिए मकान निर्माण की राशि 28 लाख रुपये प्रदान की जा रही है जो कि बेहद कम है. संघर्ष समिति ने मांग की है कि इस राशि को बढ़ाकर लोक निर्माण विभाग के आंकलन के अनुसार प्रदान किया जाए. इसके साथ ही डूबे क्षेत्र में रह रहे प्रत्येक परिवार को पूर्ण विस्थापित का दर्जा प्रदान किया जाए और उन्हें एमपीएएफ कार्ड व सरकारी नौकरी में आरक्षण प्रदान किया जाए. 


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