Sexual Offenses: दुख की बात है कि हमारे समाज में अभी भी कई सारी ऐसी घटनाएं होती हैं, जिससे सुनने के बाद इंसान पूरी तरह से हिल जाता है. इसी कड़ी में हमारे समाज में यौन अपराध की शिकार या दुष्कर्म पीड़िता के साथ अपराधी से भी बुरा व्यवहार किया जाता है. पीड़िता निर्दोष होती है, लेकिन उसके साथ जबरन यौन शोषण किया जाता है. लोग पीड़िता के साथ अछूत जैसा व्यवहार करने लगते हैं. ऐसे में यौन अपराध की शिकार इन पीड़ितों के लिए सरकार ने हर जिले में वन स्टॉप सेंटर बनाया है. 


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बता दें, वन स्टॉप सेंटर के लिए राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदशों की अनुपालना में अदालत के सामने शपथ पत्र दायर किया है. इसके बाद शीर्ष अदालत के आदेशों की अनुपालना में हाईकोर्ट ने जनहित याचिका दायर की थी. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वन स्टॉप सेंटर स्थापित करने के आदेश दिए थे. 


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मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने आदेशों में कहा था कि दुष्कर्म पीड़ित के साथ लोग अछूता जैसा व्यवहार करते हैं. लोग पीड़िता को समाज से बहिष्कृत भी कर देते हैं. कई बार इस चीज को लेकर मामले भी दर्ज होते हैं, लेकिन पुलिस भी अधिकतर पीड़िता से ही आरोपी की तरह सवाल करती है. अदालत में भी पीड़िता को कई तरह से सवालों से गुजरना पड़ता है. 


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ऐसे में शीर्ष अदालत ने यौन अपराध की शिकार पीड़िता की नैतिकता और चरित्र के सम्मान में आदेश दिए थे कि कोई भी शख्स पीड़िता का नाम प्रिंट या इलेक्ट्रानिक मीडिया में प्रकाशित नहीं कर सकता है. इसके साथ ही यौन अपराध से जुड़े मामलों पर दर्ज हुई प्राथमिकी ऑनलाइन नहीं की जाए. नाबालिग पीड़ितों की सुनवाई विशेष अदालत में ही होनी चाहिए. 


बता दें, सखी एक वन स्टॉप सेंटर है जो हिंसा या विपत्तिजनक स्थिति से प्रभावित महिलाओं को पुलिस सुविधा, चिकित्सा सहायता, विधिक सहायता और परामर्श, मनो-सामाजिक परामर्श और अस्थायी आश्रम की सुविधा एक छत की नीचे मिल जाती है. 


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