नंदलाल/नालागढ़: प्राकृतिक आपदा के चार महीने बाद भी पंजाब सीमा पर सटे लाइफलाइन कहे जाने वाले पुल का निर्माण नहीं हो पाया है, जिसके चलते लोगों को आने-जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पुल ना होने की वजह से गाड़ियां भी मजबूरन नदी के बीच से ही निकाली जा रही हैं. इतना ही नहीं यहां आए दिन सड़क हादसे भी हो रहे हैं. 


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स्थानीय लोगों ने सरकार और संबंधित पीडब्ल्यूडी विभाग पर सवाल उठाते हुए कहा है कि आखिर औद्योगिक क्षेत्र नालागढ़ से जीएसटी के रूप में 2 करोड़ रुपये प्रति दिन सरकार के खाते में जमा होता है, फिर भी सरकारों का क्षेत्र के विकास को लेकर रवैया गंभीर नहीं है, जिसके चलते लोगों को काफी परेशान होना पड़ रहा है.


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हालांकि पहले कहा गया था कि हिमाचल सरकार और पंजाब सरकार मिलकर ये निर्माण करवाएगी, लेकिन धरातल पर इस तरह का कोई काम देखने को नहीं मिला है हालांकि खानापूर्ति के लिए पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर विक्रमादित्य सिंह बीते दिनों निरीक्षण करने आए थे, लेकिन उसके बाद आश्वासन ही मिले फिर भी इस पुल का निर्माण कार्य शुरू नहीं करवाया गया है.


स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार टैक्स के रूप में उनसे और उद्योगपतियों से पैसा वसूल रही है, लेकिन उस पैसे का प्रयोग क्षेत्र के विकास के लिए नहीं किया जा रहा है और पुल के निर्माण को लेकर क्षेत्रवासियों में काफी गुस्सा देखा जा रहा है. लोगों ने सरकार और प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर जल्द ही इस दभोटा पुल का निर्माण नहीं करवाया गया तो आने वाले दिनों में क्षेत्र के लोग लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे और सरकारों के खिलाफ धरना प्रदर्शन व उग्र आंदोलन करने को भी मजबूर होंगे, जिसकी जिम्मेदारी की सरकार की ही होगी.


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अब देखना यह होगा कि कब सरकार और संबंधित विभाग जागता है और कब लोगों के लिए इस पुल का निर्माण करवाया जाता है ताकि लोगों को आ रहीं परेशानियों से निजात मिल सके. 


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