Himachal Pradesh में लोगों को सता रहा मौत का डर, प्रशासन से लगाई मदद की गुहार
Himachal Pradesh News: नालागढ़ की भाटियां पंचायत के स्नेढ गांव में आधा दर्जन से ज्यादा परिवारों का दूसरे क्षेत्रों से संपर्क टूट गया है. प्रदेश में आई आपदा के बाद यहां के लोगों को काफी नुकसान हुआ है. अब उन्हें अपने मकान ढ़हने और अपनी जान को खतरा होने का डर सता रहा है.
नंदलाल/नालागढ़: उपमंडल नालागढ़ के तहत भाटियां पंचायत के स्नेढ़ गांव में आधा दर्जन से ज्यादा परिवारों का देश दुनिया से पूरी तरह संपर्क कट चुका है. गांव के दोनों तरफ रास्ते बंद हो चुके हैं. यहां रह रहे पीड़ित परिवारों को बरसात के दिनों में हर साल इसी तरह रहना पड़ता है. इन हालातों में यहां रहना इनके लिए किसी काले पानी की सजा काटने से कम नहीं है.
बता दें, बीते दिनों चिकनी नदी में तेज बहाव आने के कारण किसानों की 50 बीघा से ज्यादा जमीन बह गई थी. इस दौरान किसानों की मक्की की फसल भी पूरी तरह तबाह हो गई थी. अब नदी इन पीड़ित परिवारों के मकानों से कुछ ही दूरी पर रह गया है. कभी भी यह नदी इनके मकानों को नुकसान पहुंचा सकती है. आधा दर्जन से ज्यादा परिवार मौत के साए में जीने को मजबूर हैं. इन्हें हर वक्त रात दिन यही डर सता रहा है कि कहीं नदी में पानी ज्यादा आ गया तो उनके घर भी नदी में ना बह जाएं.
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पीड़ितों का कहना है कि पिछले 10 वर्षों से वह सरकार और प्रशासन से नदी किनारे ढंगा लगाने की मांग कर रहे हैं और सड़क बनवाने की भी मांग कर रहे हैं, लेकिन ना तो किसी प्रधान ने उनकी समस्या को गंभीरता से लिया और ना ही सरकार और प्रशासन द्वारा उनकी ओर कोई ध्यान दिया गया, आलम यह है कि अब यह सभी पीड़ित परिवार मौत के साए में रहने को मजबूर हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि नदी का जलस्तर बढ़ने से इन्हें जान-माल का भी नुकसान हो सकता है. पीड़ितों ने सरकार और प्रशासन से एक बार फिर गुहार लगाते हुए कहा है कि उनके मकानों को बचाने के लिए ढंगा लगाया जाए. इसके साथ ही उनके घरों को आने-जाने के लिए रास्ते की व्यवस्था करवाई जाए. इसके साथ ही पीड़ितों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानीं तो वह आगामी लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करने को मजबूर होंगे.
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एक पीड़ित ने बताया कि वह 10 वर्षों से सरकार और प्रशासन से ढंगा और सड़क निर्माण के लिए मांग कर रहे हैं, लेकिन किसी भी सरकार, विधायक और प्रधान ने उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया और आलम यह है कि पिछली बरसात में भी उनकी जमीन बह गई थी और इस बार तो 50 बीघा से ज्यादा किसानों की जमीन नदी में आए तेज बहाव में बह गई थी. अब उनके मकानों को भी खतरा बना हुआ है. उनके मकान से नदी की दूरी मात्र 10 फुट रह चुकी है.
पीड़ित परिवार के सदस्यों में सरकार के खिलाफ खास रोष देखा जा रहा है. पीड़ितों ने कहा है कि पहले उनकी जमीन नदी में बह गई और अब मकान बहने की कगार पर हैं. पीड़ितों का कहना है कि क्या सरकार और प्रशासन उनकी मौत के बाद नींद से जागेगा. फिलहाल पीड़ित परिवारों की ओर से सरकार से एक बार फिर गुहार लगाई गई है. अब देखना यह होगा कि कब सरकार और प्रशासन जागते हैं और कब इन पीड़ित परिवारों को आ रही समस्याओं से निजात मिलती है.
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