विजय भारद्वाज/बिलासपुर: बिलासपुर जिला के नैनादेवी व झंडूता विधानसभा क्षेत्र की जनता का 18 वर्षों का लंबा इंतजार अब खत्म होने जा रहा है. दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों को जोड़ने वाले बागछाल पुल के दोनों छोर आखिरकार आपस में जुड़ गए हैं. गौरतलब है कि साल 2005 में मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह द्वारा इस पुल की आधारशिला जगातखना में रखी गई थी, जिसके बाद साल 2009 में पुल की नींव में गड़बड़ी आ जाने से पुल का निर्माण कार्य रोक दिया गया था. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इसके बाद साल 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस पुल के निर्माण कार्य को दोबारा शुरू करने का बीड़ा उठाया था. यही नहीं बागछाल पुल के निर्माण कार्य को लेकर स्थानीय ग्रामीणों ने कई बार संघर्ष का रास्ता भी अपनाया, जिसके बाद साल 2018 में पुल का निर्माण कार्य दोबारा शुरू किया गया और अब करीब 18 वर्षों के बाद ग्रामीणों का सपना साकार होने जा रहा है. गोविंद सागर झील पर बने 330 मीटर लंबे इस पुल के दोनों छोर आपस में जुड़ गए हैं. 


ये भी पढ़ें- Himachal Pradesh scholarship scam: ईडी ने कई स्थानों पर की छापेमारी, जब्त किए 75 लाख रुपये


वहीं इस पुल का कंकरीट कैंटीलीवर स्पैन 185 मीटर का है जो कि एशिया में सबसे ज्यादा है. लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों द्वारा वाहनों की आवाजाही के लिए इस पुल को खोलने को लेकर 31 मार्च 2024 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन जिस गति से पुल का निर्माण कार्य किया जा रहा है उसे देखते हुए समय से पहले ही इस पुल का उद्घाटन होने की उम्मीद जताई जा रही है.


बता दें, बागछाल पुल बनने से जहां झंडूता विधानसभा क्षेत्र के तहत कोटधार व नैनादेवी क्षेत्र की करीब 20 से अधिक पंचायतों को फायदा होगा वहीं, हमीरपुर व चंडीगढ़ की दूरी भी पुल के बनने से काफी कम हो जाएगी. पुल के बनने के बाद झंडूता मुख्यालय से पंजाब की सीमा की करीब 30 किलोमीटर तक की दूरी कम हो जाएगी. साथ ही किरतपुर जाने के लिए करीब 40 किलोमीटर का सफर कम हो जाएगा. 


ये भी पढ़ें- Himachal Pradesh में खतरनाक सड़कों पर धड़ल्ले से चलाई जा रहीं निजी बसें


इसके अलावा बागछाल पुल को बनाने के लिए 56 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हुई है. अब तक इसके निर्माण पर 52 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. बागछाल पुल के दोनों छोर मिलने के बाद से स्थानीय ग्रामीण भी काफी खुश हैं. पुल निर्माण को लेकर उन्होंने जिला प्रशासन, लोक निर्माण विभाग व पुल निर्माण कर रही कंपनी के अधिकारियों का आभार जताया है. 


वहीं बिलासपुर उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक का कहना है कि बागछाल पुल का निर्माण करना तकनीकी क्षेत्र में काफी मुश्किल था, लेकिन इंजीनियर्स द्वारा इसे शानदार तरीके से पूरा किया जा रहा है, जिसके चलते पुल के दोनों छोर आपस में जुड़ गए हैं. 


इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पिलर डिस्टेंस वाइस यह पुल एशिया का सबसे बड़ा पुल बनके सामने आया है. इस पुल के आगे केंद्रीय सड़क और अवसंरचना निधि (सीआरआईएफ) के तहत 46 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट के तहत टू-लेन सड़क का निर्माण किया जाएगा, जिससे हमीरपुर व बिलासपुर जिला की दूरी और भी कम हो जाएगी और लोगों को आने-जाने में काफी सहूलियत मिलेगी.


WATCH LIVE TV