विशेश्वर नेगी/रामपुर: पीएमएल मिक्स मार्शल आर्ट में 11 फरवरी को मुंबई में आयोजित अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल लेने के बाद प्रियम नेगी अपने गृह क्षेत्र रामपुर पहुंचीं. इस उपलब्धि पर महिलाओं व स्कूली बच्चों ने उनका जोरदार स्वागत किया. प्रियम नेगी ने बताया कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्हें कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ा.


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आर्थिक संसाधनों की कमी के चलते उन्हें प्रशिक्षण लेने से लेकर अन्य जरूरत की सुविधाओं का अभाव रहा, क्योंकि उनके पिता एक टैक्सी चालक हैं  जो ज्यादा खर्चा करने में असमर्थ थे. हालांकि उनके पिता ने उन्हें इस मंजिल तक पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास किया है. उन्होंने युवाओं से अपील की है कि वर्तमान समय में बढ़ते नशे के प्रचलन से दूर रहकर अपनी ऊर्जा को सकारात्मक कार्यों में लगाएं ताकि सुंदर और सुखद भविष्य बनाए जा सके. उन्होंने बताया कि वह भविष्य में देश के लिए बेहतर कार्य करना चाहती हैं, लेकिन आर्थिक तंगी उनकी राहों को स्वच्छंद रूप से आगे बढ़ाने में रोक लगा रही है.


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प्रियम नेगी के पिता पवन नेगी ने बताया कि आज के दौर में लड़कियों के लिए डिफेंस मिक्स मार्शल आर्ट अत्यंत आवश्यक है. उन्होंने बताया कि वह भी एक गरीब परिवार से संबंध रखते हैं, लेकिन वह कर्जा करके अपनी बेटी को आगे पहुंचा रहे हैं. अगर किसी बच्चे की खेलों में रुचि अच्छी हो तो उसमें पीछे नहीं हटना चाहिए. पवन ने बताया कि बेटी को आगे पहुंचाने में बड़ी कठिनाइयां आईं. आर्थिक संसाधन की कमी है, क्योंकि वह एक टैक्सी चालक हैं जिससे घर की रोजी रोटी चलाना भी मुश्किल हो जाता है. 


रामपुर नगर परिषद की वार्ड मेंबर कांता नेगी ने बताया कि हिमाचल के ननखड़ी क्षेत्र की बेटी ने पीएमएल प्रतिस्पर्धा में हिमाचल के लिए गोल्ड मेडल जीता है. यह एक गौरांवित करने वाला प्रयास है. यह हम सभी के लिए प्रेरणादायक है. वे लोगों से भी अपील करना चाहते हैं कि नई जनरेशन को नशे  से दूर रह कर खेलें और सकारात्मक कार्य में ऊर्जा लगाएं. 


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प्रियम नेगी ने बताया कि पीएमएल में उन्होंने हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया है. मुंबई में आयोजित इस प्रतियोगिता में उन्होंने 51 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड मेडल प्राप्त किया है. उन्होंने कहा कि युवाओं को भी नशे से दूर रहकर खेल एवं अन्य सकारात्मक कार्य में आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए, ताकि स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके. उन्होंने बताया कि इस मुकाम तक पहुंचने में काफी कठिनाइयां आईं, क्योंकि आर्थिक संसाधनों की कमी हमेशा रास्ता रोक रही थीं.


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