विपन कुमार/धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश की मिनी मणिमहेश डल झील के शरारती तत्वों ने झील की सफाई करने वाले वॉल्वों को खोल दिया था, जिसके चलते अचानक डल झील का पानी खत्म हो गया और झील की मछलियां तड़प- तड़पकर मरने लगीं. कुछ समय पहले एकदम से क्षेत्र में एक बार फिर झील में रिसाव की खबरों ने हवा पकड़ ली थी.


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इसके बाद प्रशासन-जल शक्ति विभाग व स्थानीय लोगों की जांच में सच्चाई सामने आई, जिसमें स्पष्ट हुआ कि इस बार रिसाव की बजाय किसी ने चोरी-छिपे झील के वॉल्व खोल दिए और सारा पानी बाहर निकल गया. हालांकि इस बारे में जानकारी मिलने के बाद प्रशासन जल शक्ति विभाग ने मछलियों को बचाने के लिए झील में पानी डाल दिया है. इसके साथ ही खोले गए वॉल्व को बंद कर दिया गया है, वहीं एसडीएम की अध्यक्षता में जांच भी शुरू कर दी गई है, जिसमें आरोपियों की तलाश की जा रही है. 


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धार्मिक आस्था की केंद्र डल झील में इस तरह की बड़ी शरारत से क्षेत्र में लोग आक्रोशित हैं. डीसी कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि पिछले 10 वर्षों से हो रहे रिसाव को रोकने के लिए जल शक्ति विभाग की ओर से राजस्थान से वैट्रोनाईट के बैग भी डाले गए हैं, जिससे काफी हद तक रिसाव रोकने में मदद मिली है. उन्होंने बताया कि शरारती तत्वों द्वारा खोले गए वॉल्व ठीक कर दिए गए हैं. साथ ही कहा कि यह झील आस्था का प्रतीक है. इसके सौंदर्यीकरण के लिए योजना बनाकर केंद्र को अमृत योजना के तहत भेजा गया है. उन्होंने कहा कि इसके लिए सहमति मिलने पर बेहतरीन स्तर पर कार्य किया जाएगा.


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गौरतलब है कि इससे पहले 2017, 2019, 2020 और नवंबर 2021 में भी झील में रिसाव हो चुका है. नवंबर 2021 और 2023 में हुए पानी के रिसाव के कारण यहां की मछलियों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया था, जिन्हें झील में दोबारा नहीं डाला गया था, वहीं इस वर्ष ही रिसाव के बाद जल शक्ति विभाग ने विभिन्न विशेषज्ञों के परामर्श के बाद राजस्थान से स्पेशल वैट्रोनाईट मंगवाकर झील में डाला गया है, जिससे काफी हद तक अब रिसाव को रोकने में मदद मिली है. ऐसे में अब झील के अस्तित्व को केंद्र की अमृत योजना 2.0 से आस है.


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