विपन कुमार/धर्मशाला: जिला कांगड़ा में 15 मार्च से प्रशासनिक तौर पर ट्रैकिंग को पूर्ण रूप से खोल दिया गया है. ऐसे में पर्यटकों को ट्रैकिंग को ले जाने वाले एडवेंचर टूअर आपरेटर्स को पर्यटकों की, ट्रैकिंग प्लान और डेस्टीनेशन की जानकारी अब पुलिस व पर्यटन विभाग को देनी होगी.  यही नहीं पर्यटन विभाग की वेबसाइट के पोर्टल पर भी ट्रैकिंग रूट सहित पर्यटकों की डिटेल अपलोड करनी होगी. 


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बता दें, पर्यटकों की सेफ्टी व सिक्योरिटी को मद्देनजर रखते हुए यह निर्णय लिया गया है. साथ ही किस ट्रैकिंग रूट पर कौन सा पर्यटक, किस आपरेटर के साथ गया है, ट्रैकिंग प्लान क्या है और डेस्टीनेशन क्या रहेगी, इसकी जानकारी प्रशासनिक एजेंसी के पास भी पर्यटन विभाग के पोर्टल के माध्यम से पहुंच सकेगी. 


वहीं, अगर कोई ट्रैकर खुद ट्रैकिंग को जाना चाहता है तो वो खुद को भी रजिस्टर कर सकता है. पर्यटन विभाग जिला कांगड़ा के डिप्टी डायरेक्टर विनय धीमान के अनुसार पर्यटकों के साथ-साथ ट्रैकर्स की सुरक्षा के मद्देनजर इस तरह की व्यवस्था की गई है. गौरतलब है कि मैक्लोडगंज क्षेत्र में इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं, कि लोग बिना जानकारी दिए ट्रैकिंग के लिए निकल जाते हैं, ऐसे में हादसे की आशंका बनी रहती है. 


हालांकि अभी तक पर्यटक व ट्रैक पर्यटन विभाग की वेबसाइट के प्रति जागरूक नहीं हैं, यही वजह है कि अभी तक मात्र 2 पर्यटकों ने ही विभाग की वेबसाइट को विजिट किया है, लेकिन विभाग को पूरी उम्मीद है कि जल्द ही लोग इस वेबसाइट के माध्यम से पंजीकरण करवाकर ट्रैकिंग करेंगे. 


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पर्यटन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर विनय धीमान ने कहा कि कांगड़ा वैली में कुल 17 ट्रैकिंग साइट है. ट्रैकिंग साइट कोई भी हो, उनके कई रास्ते होते हैं.  ऐसे में हर रास्ते पर पुलिस या अन्य कोई व्यवस्था करना संभव नहीं हो पाता. ऐसे में नियमों की अवहेलना करते हुए यदि कोई खुद को ट्रेवल एजेंसी के रूप में पोस्ट करके पर्यटकों को ट्रैकिंग के लिए ले जाता है और वहां किसी तरह के जानमाल का खतरा लगता है तो दोषी पाए जाने पर कार्रवाई का भी प्रावधान है, जिसमें न सिर्फ आईपीसी, बल्कि टूरिज्म रजिस्ट्रेशन एक्ट में भी कार्रवाई का प्रावधान है, जिसके तहत 6 माह की कैद व 10 हजार रुपये जुर्माना किया जा सकता है. 


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