अरविंदर सिंह/हमीरपुर: डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल हमीरपुर में एक व्यक्ति स्क्रब टाइफस पॉजीटिव निकला है. उपचार के लिए पहुंचे व्यक्ति का जब वेल फेलिक्स टेस्ट किया गया तो यह संक्रमित पाया गया. इस बरसात के सीजन में जिला में आया यह पहला मामला है. इस मामले को देखने के बाद जिला स्वास्थ्य विभाग ने स्क्रब टाइफस से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम कर लिए हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बुखार होने पर दी जा रही यह दवा
इसके लिए पीएचसी और सीएचसी स्तर पर भी व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही सुनिश्चित किया है कि अगर कोई बुखार से पीड़ित मरीज अस्पताल पहुंचता है तो उसकी डॉक्सीसाइक्लिन दवा शुरू की जाए, ताकि जल्द व्यक्ति बुखार से ठीक हो सके. सुनिश्चित किया जा रहा है कि त्वरित उपचार शुरू किया जाए ताकि मरीज को बीमारी की वजह से ज्यादा परेशान न होना पड़े. 


ये भी पढे़ं- Himachal Pradesh News: मनाली से चंडीगढ़ और चंडीगढ़ से मनाली यात्री जरूर पढ़ें ये खबर


स्क्रब टाइफस से निपटने के लिए किए गए पुख्ता इंतजाम
अधिकांश मामलो में स्क्रब टायफस खेतों में काम करने के दौरान एक सूक्ष्म कीट के काटने के कारण होता है. इस कीट के काटने से शरीर पर निशान भी पड़ जाते हैं. इसके लक्षण में बुखार, प्राथमिक घाव, धब्बेदार दाने शामिल हैं. स्क्रब टायफस रिकेटसियल रोग से संबंधित है. जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय जगोता ने बताया कि स्क्रब टाइफस पॉजीटिव का एक मामला सामने आया है. स्क्रब टाइफस से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. सभी स्वास्थ्य संस्थानों में इसके उपचार की दवाईयां उपलब्ध हैं. 


स्क्रब टायफस एक जीवाणु से संक्रमित माईट है, जिसे स्थानीय भाषा में पिस्सू कहा जाता है जो खेतों, झाडियों और घास में रहने वाले चूहों में के काटने से फैलती है. यह जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है. स्क्रब टायफस होने से शुरू में कोई दर्द नहीं होता है. घास में जाने पर अगर कोई कीट काट ले तो कुछ समय बाद वहां काले निशान पड़ने शुरू हो जाते हैं. ऐसे में लोगों को तुरंत अस्पताल जाकर जांच करवानी चाहिए.


ये भी पढे़ं- जानें गोल्ड, सिल्वर और कांस्य पदक जीतने पर मिलती है कितने करोड़ की धनराशि
 
स्क्रब टायफस होने पर मरीज को तेज बुखार आता है. जोड़ों में दर्द, ठंड के साथ बुखार, शरीर में ऐंठन, अकडन और शरीर टूटा हुआ लगने लगता है. अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजू और कूल्हों के नीचे गिल्टियां होने लगती हैं. 


WATCH LIVE TV