मनुज शर्मा/सोलन: हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन में बिजली के खंभे से करंट लगने के कारण विलुप्त होती जा रही प्रजाति की उड़ने वाली एक गिलहरी नीचे गिरकर चोटिल हो गई. उसके मुंह और टांग में चोट लग गई. इंसानियत के नाते कुछ लोग बेसुध अवस्था में गिलहरी को पशु चिकित्सालय कोटलानाला ले गए, लेकिन वहां के स्टाफ ने उन्हें यह कह कर लौटा दिया कि वह इसका इलाज नहीं कर सकते, क्योंकि उनके पास इसके इलाज के लिए ग्लव्ज नहीं हैं और ना ही उपचार के लिए कोई भी अन्य सामान है. इसके बाद लोग उस गिलहरी को वापस ले आए, लेकिन इसके बाद एक बात सहजता से समझी जा सकती है कि पशु औषधालय सोलन में किस लचर कार्यप्रणाली से कार्य हो रहा है. यहां के कर्मचारी कार्य करने को राजी ही नहीं हैं. 


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पशु अस्पताल को लेकर लोगों ने क्या बताया 
उड़ने वाली गिलहरी को पशु अस्पताल लेकर गए लोगों ने बताया कि जब वह गिलहरी को इलाज के लिए पशु अस्पताल ले गए तो उन्हें वहां से यह कह कर वापस भेज दिया गया कि उन्हें गिलहरी का इलाज करने से डर लग रहा है, क्योंकि उनके पास ग्लव्स नहीं है. लोगों ने बताया कि इसके बाद वह वहां से वापस आ गए. यह पुलिस व वन विभाग का मामला है.


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पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक डॉ. जीवन लाल ने कहा...
वहीं, पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक डॉ. जीवन लाल ने बताया कि अस्पताल में संबंधित गिलहरी का इलाज किया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि अस्पताल में ग्लव्ज की कोई कमी नहीं है. उन्होंने कहा कि मानवता के नाते इसका इलाज किया जाना चाहिए था, वहीं डॉ. जीवन लाल अपने अस्पताल के कर्मचारियों का बचाव करते नजर आए. निश्चित तौर पर पशुओं के अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे हकीकत में खोखले हैं. यह बहुआयामी पशु चिकित्सालय मात्र डॉग्स के इलाज तक ही सीमित बन कर रह गए हैं.


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