अखिल भारतीय कोली समाज नई दिल्ली के पंजाब प्रदेश के अध्यक्ष अभिनव कोली ने कहा कि कोली समाज का इतिहास अत्यंत प्राचीन और गौरवशाली है, जिसका जुड़ाव क्षत्रिय धर्म, शासन और खेती से रहा है. यह समाज भारत के विभिन्न हिस्सों में फैला हुआ है और समाज के सदस्य OBC, SC, और ST श्रेणियों में आते हैं. कोली समाज की उपस्थिति देशभर में 11 से अधिक राज्यों में है, और इसका ऐतिहासिक योगदान शासकीय प्रशासन से लेकर कृषि में रहा है. 


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कोली समाज का प्राचीन गौरव:
कोली समाज की उत्पत्ति क्षत्रिय धर्म से मानी जाती है, और इसकी जड़ें महान चक्रवर्ती सम्राट भगवान मांधाता से जुड़ी हैं. भगवान मांधाता, जो भगवान राम के पूर्वज थे, ने अपने शासनकाल में कई राज्यों और क्षेत्रों का नेतृत्व किया. कोली समाज की महान परंपरा में राज राजा चोल का भी उल्लेख किया जाता है, जिन्होंने दक्षिण भारत में एक शक्तिशाली साम्राज्य स्थापित किया था. 


रियासतें और सैन्य परंपराएं:
कोली समाज ने भारत के विभिन्न हिस्सों में कई छोटी-बड़ी रियासतें स्थापित की थीं. इस समाज के वीर योद्धाओं का इतिहास अद्वितीय रहा है. तन्हाजी मलूसरे, जिन्होंने शिवाजी महाराज के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण लड़ाइयां लड़ीं, इसी समाज से आते हैं. झलकारी बाई, जिन्होंने 1857 की क्रांति में रानी लक्ष्मीबाई के साथ अंग्रेजों का डटकर सामना किया, कोली समाज की बहादुरी का एक और उत्कृष्ट उदाहरण हैं. अंग्रेजी ने कोली समाज को खूनी काम का दर्जा दिया था. रात को समुद्र के रास्ते अंग्रेजों के जहाज लूटा करते थे.


खेती और समाज का विकास:
कोली समाज की पहचान कृषि और कृषिकर्म से गहराई से जुड़ी है. प्राचीन समय से, इस समाज ने खेती को अपना मुख्य व्यवसाय बनाया और कृषि क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया. समय के साथ, जब सामाजिक संरचनाएं बदलीं, तो कोली समाज को OBC, SC, और ST की श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया. इसी कारण, समाज ने कृषि से जुड़कर खुद को संगठित किया और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाई. त्रिपुरा के राज परिवार का उदाहरण भी इसी सामाजिक बदलाव का परिणाम है, जो आज ST श्रेणी में आता है.


आधुनिक राजनीति में योगदान:
वर्तमान में, कोली समाज OBC, SC, और ST के रूप में मान्यता प्राप्त है और विभिन्न राज्यों में राजनीतिक प्रतिनिधित्व करता है. गुजरात में 31 से अधिक विधायक और कई सांसद हैं, हिमाचल प्रदेश में 9 विधायक और 1 सांसद कोली समाज से हैं. रामनाथ कोविंद, जो भारत के पूर्व राष्ट्रपति हैं, भी इसी समाज से आते हैं. राजस्थान और मध्य प्रदेश और बिहार में भी कोली समाज के लोग सांसद और विधायक हैं. राम मंदिर की पहली ईंट 1989 में कोली समाज के नेता श्री कामेश्वर चौपाल ने रखी थी, बाद में वह बिहार से विधान पार्षद बनें और बिहार विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश प्रमुख हैं.


सामाजिक और राजनीतिक योगदान:
कोली समाज देश की लगभग 75 करोड़ वोटर आबादी का हिस्सा है और भाजपा के OBC, SC, ST फ़ार्मूला के तहत एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है. समाज की नेतृत्व क्षमता और क्षत्रिय परंपराएं इसे एक प्रभावशाली राजनीतिक शक्ति बनाती हैं. कोली समाज के सदस्य अपने नेतृत्व और साहस के लिए जाने जाते हैं और वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में यह समाज अपनी नेतृत्व क्षमता का फिर से प्रदर्शन कर सकता है. 


निष्कर्ष:
कोली समाज का इतिहास, उसकी कृषि परंपरा और क्षत्रिय विरासत ने इसे भारतीय समाज का एक महत्वपूर्ण अंग बनाया है. समाज की वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि कोली समाज आने वाले समय में एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है.