पटना में गुरु गोबिंद सिंह जी की मूर्ति को लेकर मचा बवाल, जानिए गुरु नानक देव जी क्या कहना था!
गुरु नानक देव जी का यह भी कहना था कि केवल गुरु का मार्गदर्शन ही आपको `अस्तित्व के महासागर` के पार ले जा सकता है.
Guru Gobind Singh Ji Idol in Patna Mall news in Hindi: पंजाब में या कहें की ख़ास तौर पर सिख समुदाय में एक विवाद बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है. पटना के अंबुजा मॉल में दशमेश पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की मूर्ति स्थापित की गई है, जिसको लेकर यह विवाद बना हुआ है. इसके अलावा इस विवाद में यह भी सामने आया है कि यह जो मॉल है वह अडानी ग्रुप का है. (Here's what Guru Nanak Dev ji said on idol worship in Sikhism)
ऐसे में शिरोमणि अकाली दल की लीडर हरसिमरत कौर बादल द्वारा कहा गया कि "महान गुरु साहिबान और श्री गुरु ग्रंथ साहिब अकाल पुरख की सर्वोच्च शक्ति यानी निराकार प्रकृति पर जोर देते हैं. यही कारण है कि सिख मर्यादा मूर्ति पूजा का निषेध करती है. इसलिए, पटना में अडानी के स्वामित्व वाली कंपनी अंबुजा मॉल में दशमेश पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की मूर्ति स्थापित करना सिख मर्यादाओं का घोर उल्लंघन है.
उन्होंने आगे कहा, "इसके लिए जिम्मेदार लोगों को सिख कौम से माफी मांगनी चाहिए. सरकार को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. मैं सभी सिखों से आग्रह करता हूं कि हमारी धार्मिक दृष्टि और पहचान को कमजोर करने के लिए खालसा पंथ के खिलाफ साजिशों से लड़ने के लिए एकजुट हों." (Guru Gobind Singh Ji Idol in Patna Mall news in Hindi)
क्या कहता है इतिहास? मूर्तियों को लेकर क्या कहते थे श्री गुरु नानक देव जी?
बता दें कि गुरु ग्रंथ साहिब और दसम ग्रंथ जैसे सिख ग्रंथों में मूर्ति पूजा को बेकार प्रथा माना जाता है और गुरु ग्रंथ साहिब में गुरु नानक देव जी (Here's what Guru Nanak Dev ji said on idol worship in Sikhism) की शिक्षा के मुताबिक मूर्तियों की पूजा करने की प्रथा को बेकार और हास्यास्पद बताया गया है. उनका कहना था कि "ये मूर्तियां किसी प्रश्न का उत्तर नहीं देतीं और न ही गुरु के रूप में आपका मार्गदर्शन कर सकती हैं.
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गुरु नानक देव जी का यह भी कहना था कि केवल गुरु का मार्गदर्शन ही आपको "अस्तित्व के महासागर" के पार ले जा सकता है.
गुरु ग्रंथ साहिब में यह भी लिखा गया है कि भगत नामदेव मूर्ति पूजा को स्वीकार नहीं करते और वो कहते हैं कि “एक पत्थर को प्यार से सजाया गया है, जबकि दूसरे पत्थर पर चल रहा है। यदि एक देवता है, तो दूसरे को भी अवश्य ही देवता होना चाहिए। नाम दयाव कहता है, मैं प्रभु की सेवा करता हूं।“
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(Disclaimer: यह खबर रिपोर्ट के आधार पर बनाई गई है और हमारा उद्देश्यकिसी भी धर्म या जाति को ठेस पहुंचाना नहीं है)