Ahoi Ashtami Pooja vidhdi: कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) कहा जाता है. आज 17 अक्टूबर सोमवार को अहोई अष्टमी व्रत है. आज के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. अहोई अष्टमी का व्रत आज सुबह 8 बजकर 6 मिनट से शुरू हो गया है जो कि रात करीब 10 बजे तक रहेगा.  यहां हम आपको बताएंगे कि अहोई अष्टमी की पूजा का सही समय (Ahoi Ashtami Pooja time) और पूजा विधि (Ahoi Ashtami Pooja vidhdi) के बारे में.  


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क्यों रखा जाता है अहोई अष्टमी?
महिलाएं यह व्रत अपनी संतान के लिए रखती हैं. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान के जीवन से कष्ट दूर होते हैं. इस व्रत के नाम से ही साफ है कि यह क्यों रखा जाता है. अहोई का अर्थ होता है अनहोनी को भी बदलना/टालना. उत्तर भारत में कई जगहों पर उनकी परंपरा के अनुसार अहोई माता का स्वरूप बनाया जाता है और फिर विधि-विधान के साथ मां के इस स्वरूप की पूजा की जाती है. 


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कब और कैसे करें अहोई मां की पूजा?
एक दीवार पर गेरू से अहोई माता का चित्र बना लें. इसके साथ ही गेरू से साही और उसके सात पुत्रों की भी प्रतिमा बना लें. इसके बाद 
मां की प्रतिमा के सामने एक कटोरी में चावल और सिंघाड़ां रख लें और एक करवे में जल भर लें. ये सब करने के बाद अहोई अष्टमी की व्रत कथा सुनें. कथा सुनने के बाद अहोई मां को पूड़ी और किसी भी मिठाई का भोग लगाएं जब तारे निकल जाएं तो फिर तारों को अर्घ्य देकर संतान की लंबी उम्र और उनके सुखी जीवन की कामना करें. इतना करने के बाद अपनी सास या फिर घर के किसी बड़े को उपहार के तौर पर कपड़े दें. ऐसा करना शुभ माना जाता है. 


यह है पूजा का सही समय
बता दें, अहोई अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 5 बजकर 47 मिनट से 7 बजकर 3 मिनट तक रहेगा. वहीं, तारों को देखने का सही समय 6 बजकर 10 मिनट है. आज के दिन चंद्रोदय का समय 11 बजकर 21 मिनट है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. जी पंजाब हिमाचल इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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