विजय भारद्वाज/बिलासपुर: 52 शक्तिपीठों में शुमार श्री नैनादेवी मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. प्राचीन मान्यता के अनुसार, इस जगह माता सती के नैन गिरे थे. तभी से यहां उनके पिंडी रूप की पूजा की जाने लगी. पंजाब, हरियाणा, यूपी और दिल्ली सहित देशभर से लाखों की संख्या में भक्त माता नैनादेवी के दर्शन करने यहां आते हैं. नवरात्रों के समय यहां भक्तों की भारी देखने को मिलती है, लेकिन आज हम आपको बताएंगे माता नैनादेवी के दरबार में स्थित एक ऐसे हवन कुंड की कहानी जिसका चमत्कार कलयुग के इस दौर में भी देखने को मिल रहा है.


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प्राचीन काल से किया जाता है हवन
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर स्थित नैनादेवी मंदिर में मौजूद नैनादेवी का चमत्कारिक हवन कुंड का रहस्य अपने आप में बेहद खास है. प्राचीन काल से ही विद्यमान इस हवन कुंड में हवन-यज्ञ करते थे जो आज भी किया जाता है. इस हवन कुंड की हैरान करने वाली बात यह है कि चाहें यहां कितनी भी देर तक हवन किया जाए उसकी राख कुंड में ही समा जाती है.


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24 घंटे चलता रहता है हवन
बता दें, इस हवन कुंड की गहराई 1 फुट है. इसके बावजूद इसमें टन के हिसाब से लकड़ी जलाई जाती है जो पूरी की पूरी इसी में समा जाती है. जितने भी श्रद्धालु यहां आते हैं वे सभी इसमें आहुति डालते हैं. ऐसे में यह हवन 24 घंटे चलता रहता है, लेकिन इसके अंदर डाली जा रही सामाग्री और प्रसाद कभी भी बाहर नहीं निकालता है बल्कि सारा धीरे-धीरे इसी में समा जाता है. 


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इन कार्यों के लिए करवाए जाते हैं हवन 
मान्यता है कि इसके चारों ओर बने स्तंभों में चारों वेद स्थापित किए गए हैं. कहा तो यह भी जाता है कि इस कुंड में यज्ञ रक्षक की स्थापना की गई है, जिसके चलते हवन कुंड मंत्र में उच्चारणों के साथ दुख, रोग निवारण, लक्ष्मी प्राप्ति, राजनीति में विजय प्राप्ति सहित कई तरह के हवन-यज्ञ किए जाते हैं. इसके बाद सारी राख हवन कुंड में ही समा जाती है. इसके अलावा ऐसी मान्यता भी है कि घर में करवाए गए अनेकों हवन की तुलना में इस हवन कुंड में डाली गई आहुतियां ज्यादा फलदायी होती हैं. वहीं, देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं की इस प्राचीन हवन कुंड में अपार श्रद्धा है. 


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