Surya Shasthi Vrat 2023: सनानत धर्म में सूर्य देव की आराधना करना बेहद शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि सूर्य देव को जल अर्पित करना भी अच्छा होता है. धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी उगते सूरज को जल देना अच्छा माना गया है. जिस तरह सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है ठीक ऐसे ही रविवार सूर्य देव को समर्पित है. ऐसे में रविवार को उगते सूरज को जल अर्पित कर सूर्यदेव की आराधना करने से हर मनोकामना पूरी होती है, रुके हुए कार्य पूरे होते हैं. इसके साथ ही व्यक्ति का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है. 


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हिंदू पंचांग के अनुसार, आज भाद्रपद माह से शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है. इस षष्ठी को सूर्य षष्ठी और लोलार्क षष्ठी भी कहा जाता है. आज के दिन महिलाएं व्रत करती हैं, जिसका उन्हें विशेष फल मिलता है. यह व्रत भगवान सूर्यदेव को समर्पित होता है. ऐसे में आज व्रत के साथ 16 दिनों तक काशी के लोलार्क कुंड में स्नान करने का भी विशेष महत्व होता है. 


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क्यों किया जाता है सूर्य षष्ठी/लोलार्क षष्ठी का व्रत
कहा जाता है कि यह व्रत संतान प्राप्ति और संतान की खुशी के लिए किया जाता है. जो भक्त आज के दिन यह व्रत कर मंत्रों का जाप करते हुए विधिवत सूर्यदेव की आराधना करते हैं उन्हें संतान सुख, धन प्राप्ति और आरोग्य देह यानी बीमारियों से निजात मिलती है. 


इस तरह करें सूर्यदेव की आराधना
सूर्य षष्ठी/लोलार्क षष्ठी पर नदी या साफ तालाब में स्नान कर लें और अगर आप कहीं दूर नदी या तालाब में स्नान करने जा सकते हैं तो आप अपने घर में ही साफ पानी से स्नान कर लें. इसके बाद सूर्यदेव का स्मरण करते हुए चंदन, चावल, तिल और चंदन मिले हुए जल से उगते सूरज को अर्घ्य दें. इसके बाद सूर्य देव घी का दीपक या धूप जलाकर सूर्यदेव के मंत्र का यथा शक्ति जप करते हुए सूर्य देव की पूजा करें. आज के दिन ब्राह्मणों को दान देने का भी खास महत्व होता है. 


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काशी के लोलार्क कुंड में डुबकी लगाने का है विशेष महत्व
बता दें, सूर्य षष्ठी/लोलार्क षष्ठी पर काशी के लोलार्क कुंड में डुबकी लगाने का विशेष महत्व माना गया है. मान्यताओं के अनुसार, यहां इस कुंड में स्नान कर आस्था की डुबकी लगाने से स्वस्थ संतान की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि लोलार्केश्वर महादेव यहां आकर कुंड में डुबकी लगाने वालों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. 


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