Monday Pooja: हिंदू धर्म में हर दिन को खास माना गया है. कहा जाता है कि हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है. जैसे सोमवार शिव जी और मंगलवार हनुमान जी को. ऐसे में सोमवार को काफी शुभ माना गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह दिन भगवान शिव को समर्पित है. कहा जाता है कि शिव जी बहुत भोले हैं वह अपने भक्तों से बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. ऐसे में इस दिन शिव जी की विधिवत पूजा अर्चना करने से वह काफी जल्दी प्रसन्न होते हैं और अपनी भक्तों के सभी कष्ट दूर कर उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है सही तरीके से पूजा करना. 


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ब्रह्म मुहूर्त में कर लें स्नान
सोमवार को सवेरे जल्दी उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण कर लें. ध्यान रहे कि इस दिन आपको ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लेना चाहिए. इसके बाद मंदिर को साफ कर उसमें थोड़ा गंगाजल छिड़क दें और फिर एक लोटे में जल भरकर उसमें चीनी और चावल के दाने डाल लें. इसके बाद शिव चालीसा का पाठ (शिवाष्ट) करें.


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शिव जी पूजा में कभी न करें तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल 
इसके अलावा जिन लोगों का विवाह नहीं हो रहा है वह भी सोमवार को व्रत करें और शिव जी की विधिवत पूजा करें. आमतौर पर देखा जाता है कि हर मांगलिक कार्यक्रम और पूजा अनुष्ठान में तुलसी के पत्तों का उपयोग किया जाता है, लेकिन शिव जी पूजा में कभी भी तुलसी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. 


शिवलिंग पर क्यों नहीं चढ़ाने चाहिए तुलसी के पत्ते  
पौराणिक ग्रंथों की मानें तो तुलसी जी का जन्म पहले एक लड़की के रूप में हुआ था, जिसका नाम वृंदा था. उस समय उनका जन्म राक्षस कुल में हुआ था. वे बचपन से ही भगवान विष्णु की परम भक्त थी. जब वृंदा बड़ी हुई तो कुल की परंपरा के अनुसार उसका विवाह जलंधर नाम के दानव से करा दिया गया जो समुद्र से उत्पन्न हुआ था. 


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एक दिन जालंधर युद्ध में जा रहा था तब वृंदा ने अपने पति की सुरक्षा के लिए संकल्प किया कि जब तक वह युद्ध से वापस नहीं आ जाएंगे तब वह पूजा करती रहेगी. वृंदा के प्रण की वजह से जब कोई भी जालंधर को मार नहीं पाया तो विष्णु भगवान जालंधर का वेष धारण कर वृंदा के सामने आकर खड़े हो गए और उसका संकंल्प तुडवा दिया. इसके बाद वृंदा सती हो गई और उसकी आग से एक पौधा उग गया, जिसका नाम भगवान विष्णु ने तुलसी रख दिया. यही वजह है कि शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. जी न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता.) 


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