Adhbhut himachal: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सिंतबर 2022 को अपना 72वां जन्मदिन मनाने जा रहे हैं. जी हां शनिवार यानी कल 17 सितंबर को पीएम मोदी का बर्थ डे है. पीएम के जन्मदिन को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ देश की जनता में भी काफी उत्साह देखा जा रहा है. पीएम मोदी के जन्मदिन को स्पेशल बनाने के लिए खास तैयारियां की जा रही हैं. इसके लिए 17 सितंबर से लेकर महात्मा गांधी की जयंती यानी 2 अक्टूबर तक अलग-अलग कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने जन्मदिन पर देश की जनता को एक खास तोहफा देने जा रहे हैं. 


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बता दें, पीएम मोदी के जन्मदिन पर अफ्रीका के नामीबिया (Namibia) से 8 चीतों को लाया जा रहा है. जिन्हें पीएम खुद मध्य प्रदेश के 'कुनो नेशनल पार्क' (Kuno National Park) में छोड़ेंगे. ऐसे में भारत से विलुप्त हो चुके 'कुलांचे भरता चीते' एक बार फिर भारत की धरती पर देखने को मिलेंगे.


कैसा होता है 'हिम तेंदुआ'
खैर ये तो थी 'कुलांचे भरता चीते' की बात, लेकिन हमारे खास शो अद्भुत हिमाचल में आज हम आपको बताने जा रहे हैं चीते की एक और प्रजाति के बारे में, जिसका नाम है 'हिम या बर्फीला चीता' जी हां हिम चीता. जिसके नाम से ही साफ है कि यह चीता पहाड़ी और ठंड़े इलाको में पाया जाता है. बता दें, पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाने वाले इन चीतों को 'पहाड़ों के भूत' के रूप में भी जाना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इनके रंग और रूप से इन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है. ये ज्यादातर हिमालय की बर्फीली चोटियों में ही रहते हैं. 


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कैसे होते हैं हिम तेंदुए
हिम तेन्दुआ एक विडाल प्रजाति है जो मध्य एशिया में पाई जाती है. यह एक छोटे तेंदुए की तरह दिखाई देता है. ये करीब 1.5 मीटर लंबे होते हैं. हिम तेंदुए की पहचान इनकी फरदार और लंबी पूंछ से होती है जो करीब 100 सेंटीमीटर की होती है. इनकी खाल पर सफेद और ग्रे फर होते हैं. जो बहुत लंबे और मोटे होते हैं. ये फर इन्हें सर्दी से बचाकर रखते हैं. वहीं इनके ऊनी पैरों की वजह से इन्हें बर्फ पर चलने में भी आसानी होती है.   


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हर साल मनाया जाता है 'इंटरनेशनल हिम तेंदुआ दिवस'
बता दें, हर साल 2 अक्टूबर को दुनियाभर में इंटरनेशनल हिम तेंदुआ दिवस भी मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद होता है लोगों में हिम तेंदुएं के प्रति जागरूकता पैदा करना. पहला हिम तेंदुआ दिवस 23 अक्टूबर 2014 को मनाया गया था. यह ज्यादातार बर्फीले क्षेत्रों में पाया जाता है. यही वजह है कि इन्हें बर्फीला तेंदुआ भी कहा जाता है. यह हिमाचल प्रदेश का राजकीय भी पशु है. इसे हिमाचल का सबसे खतरनाक पशु माना जाता है. 


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