History of Himachal: हिमाचल प्रदेश में कुल्लू मनाली, शिमला समेत और भी कई ऐसी जगहें जो पर्यटकों के घूमने के लिए उनकी पहली पसंद हैं. हिमाचल प्रदेश की खूबसूरती सभी का मन मोह लेती है, लेकिन केवल यहां की खूबसूरत वादियां ही नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश का इतिहास भी बेहद दिलचस्प है.
Trending Photos
History of himachal: हिमाचल प्रदेश का नाम सुनते ही सबके जहन में यहां का खूबसूरत का नजारा आने लगता है. यहां का मौसम, ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और पेड़-पौधे सभी का मन मोह लेते हैं. हिमाचल प्रदेश लोगों के घूमने की पहली पसंद है. ज्यादातर लोग अपने हॉली डे एंजॉय करने के लिए हिमाचल जाना ही पसंद करते हैं. यहां घूमने के लिए ऐसी बहुत सी जगहें हैं जो सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. यहां देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग अपनी छुट्टियां मनाने के लिए आते हैं. ऐसे में आज इस खबर में हम आपको बताएंगे हिमाचल के इतिहास के बारे में.
कितना पुराना है हिमाचल का इतिहास?
हिमाचल प्रदेश का इतिहास भी उतना ही पुराना है, जितना मानव अस्तित्व का इतिहास. हिमाचल प्रदेश का इतिहास उस दौर में ले जाता है जब सिंधु घाटी सभ्यता विकसित हुई. जी हां, इस बात का प्रमाण है हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में हुई खुदाई के दौरान मिली प्राचीन सामाग्री. बता दें, जनवरी 1948 ई. में सोलन में शिमला हिल्स स्टेट्स यूनियन सम्मेलन का आयोजन हुआ. जहां हिमाचल प्रदेश के निर्माण की घोषणा की गई.
ये भी पढ़ें- Aaj ka Panchang 6 august: क्या होता है पंचांग, क्यों खास होता है इसका महत्व
किसे कहा जाता है हिमाचल का निर्माता
हिमाचल प्रदेश के गठन में डॉ. यशवंत सिंह परमार का अहम योगदान रहा. डॉ. यशवंत सिंह परमार हिमाचल प्रदेश के पहले सीएम थे. ऐसे में उन्हें हिमाचल निर्माता भी कहा जाता है. 1970 में 18 दिसंबर को संसद द्वारा हिमाचल प्रदेश अधिनियम पारित किया गया. इसके बाद 25 जनवरी 1971 को इसके नए राजा अस्तित्व में आए. इस तरह हिमाचल प्रदेश भारतीय संघ के 18वें राज्य के रूप में उभराकर अस्तित्व में आया. यहां के राजा वीरभद्र सिंह थे.
क्यों रखा हिमाचल प्रदेश का नाम 'हिमाचल'
आप में से ऐसे बहुत से लोग होंगे जिन्हें यह मालूम होगा कि हिमाचल प्रदेश को 'देवभूमि' कहा जाता है. राज्य का हिमाचल नाम रखने के पीछे की वजह काफी दिलचस्प है. हिमाचल का अर्थ है-'बर्फीला ढलान' और प्रदेश का अर्थ है राज्य. बस यहां की खूबसूरती और बर्फीले ढलानों को देखते हुए इस राज्य का नाम हिमाचल प्रदेश रखा गया.
हिमाचल में यह चार मुख्य जातियां करती हैं निवास
बता दें, प्राचीनकाल में यहां के आदिवासियों को दस्यु, दास और निषाद के नाम से जाना जाता था. यहां 4 मुख्य जाति निवास करती हैं. आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश वी एसवरयाह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 4 जातियों को सूची में संशोधित किया गया. यह जाति भाट या भट्टा, गद्दी, गोरखा और बटेहडा हैं.
उन्नीसवीं शताब्दी में रणजीत सिंह ने इस क्षेत्र के कई हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया था. इसके बाद जब अंग्रेज आए तो उन्होंने गोरखा लोगों को हराकर कुछ राजाओं की सियासत को अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया. यहां बड़ी मात्रा में मंगोल आर्यों द्वारा अनुसरित प्रोटो-ऑस्ट्रेलियड प्रजाति निवास करती है. यहां दस्युओं, निषादों और उनके शक्तिपूर्ण राजा शांबरा 99 किले रखने वाले राजा के बारे में भी ऋग्वेद में उल्लेख है.
हिमाचल में इन समुदाय के लोगों का भी है निवास
स्वतंत्रता के बाद पश्चिमी हिमालय के प्रांतों में 28 छोटी रियासतों के एकीकरण होने पर 15 अप्रैल 1948 को हिमाचल प्रदेश के मुख्य आयुक्त प्रांत का आयोजन किया गया था. यहां दागी, कोइली, धौग्री, हाली, खासा, दसा, किन्नर और किरात समुदाय के लोग निवास करते हैं. वैदिक काल में जनपद के नाम से जाने जाना वाला राज्य छोटा गणराज्य यहां बसा हुआ था, जिस पर गुप्त साम्राज्य का कब्जा था. काफी समय तक राजा हरिशचंद्र के प्रभुत्व के बाद सरदारों और राजपूतों की अगुवाई में इस क्षेत्र को छोटे-छोटे हिस्सो में विभाजित कर दिया. हालांकि इस साम्राज्य को बड़े पैमाने पर स्वतंत्रता भी मिली.
WATCH LIVE TV