पांवटा साहिब/ज्ञान प्रकाश: उत्तर भारत में सर्दी बढ़ने के साथ ही पांवटा साहिब में पारंपरिक तरीके से बनने वाले गुड़ और शक्कर की मांग में बेतहाशा वृद्धि हो रही है. पोषण से भरपूर पांवटा साहिब के गुड़ की मांग बढ़ने से चरखी चालक (चरखी चलाने वाले) इसकी डिमांड पूरी नहीं कर पा रहे हैं. उच्च गुणवत्ता और उत्तम स्वाद के चलते पांवटा दून क्षेत्र के गन्ने से बनने वाला गुड भारत के कई राज्यों सहित विदेशों में भी निर्यात होने लगा है.


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गुड़ की खुशबू से महक रही पांवटा दून घाटी
बता दें, पांवटा साहिब में उन्नत किस्म का गन्ना उगाया जाता है और इसी उत्कृष्ट किस्म के गन्ने से सेहत और स्वाद से भरपूर शक्कर और गुड़ बनाया जाता है. आजकल पांवटा दून घाटी इसी शक्कर और गुड़ की खुशबू से महक रही है. पांवटा दून घाटी में आज भी पारंपरिक तरीके से चरखी तकनीक से गुड़ और शक्कर तैयार की जाती है. 


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मौसम के बदलते मिजाज के साथ बढ़ी गुड़ की मांग 
उच्च गुणवत्ता और उत्कृष्ट स्वाद के चलते पांवटा साहिब का गुड़ अब विदेशों में भी निर्यात किया जा रहा है, जबकि देश के विभिन्न राज्यों में यहां के गुड़ और शक्कर की खासी मांग है. मौसम के बदलते मिजाज और लुढ़कते पारे के साथ ही पांवटा दून घाटी के गुड़ की मांग भी कई गुना बढ़ गई है. खास तौर पर पहाड़ी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग यहां गुड़ और शक्कर खरीदने पहुंच रहे हैं. गौरतलब है कि सर्दियों में सेहत और स्वाद से भरपूर गुड, शक्कर ठंड से बचने और अच्छी सेहत का सशक्त उपाय है. यही वजह है कि सर्दियां बढ़ने के साथ ही गुड़ की मांग भी बढ़ गई है.


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पूरी नहीं हो पा रही खरीरदारों की मांग
कड़ाके की ठंड पड़ने और उच्च गुणवत्ता के चलते गुड़ और शक्कर की मांग इस कदर बढ़ी है कि चरखी चालक दिन रात इसके उत्पादन में लगे हुए हैं. इसके बावजूद खरीदारों की मांग पूरी नहीं हो पा रही है. अधिकतर लोग अपनी पसंद का गुण और शक्कर खरीद पा रहे हैं, लेकिन कई लोगों को माल उपलब्ध ही नहीं पो रहा है. ऐसे मे उन्हें निराश होकर वापस लौटना पड़ रहा है. इस बीच गुड की मांग बढ़ने से गुड़ निर्माताओं को अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है. कहीं न कहीं यही वजह है कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों से दर्जनों की संख्या में कारीगर गुड़ बनाने के लिए हर साल पांवटा साहिब आते हैं.


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