देश के लिए छोड़ दिया था विदेशी जॉब का ऑफर, हरी चंद ने कई बार जीता गोल्ड मेडल
69 बर्षीय हरी चंद पिछले कुछ दिनों से बीमार थे. हरी चंद के जीवन की बात करें तो 1 अप्रैल 1953 में जन्मे हरी चंद ने गांव के स्कूल से ही अपनी पढ़ाई की थी. इसके बाद वह स्पोर्टस में चले गए. हरी चंद ने खूब मेहनत कर गांव और देश का नाम रोशन किया.
रमन खोसला/चंडीगढ़: एशिया गेम्स में 2 बार गोल्ड मैडल जीतने वाले ओलंपिक एथलीट हरी चंद का बीते दिन सोमवार को 69 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. आज उनका पैतृक गांव घोड़ावहा में अंतिम संस्कार कर दिया गया. अर्जुन अवार्ड से सम्मानित हरी चंद का राजकीय साम्मान के साथ अंतिम संस्कार न होने से परिवार ने दुःख जताया. इतना ही नहीं इस मौके पर कोई भी सरकारी अधिकारी मौजूद नहीं रहा. वहीं परिवार का दुख बांटने पहुंचे विधयाक जसबीर सिंह ने पूरे मामले को लेकर जांच के आदेश दे दिए हैं. उन्होंने कहा कि जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त करवाई की जाएगी.
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साउथ कोरिया में बनाया था रिकॉर्ड
बता दें, 69 बर्षीय हरी चंद पिछले कुछ दिनों से बीमार थे. हरी चंद के जीवन की बात करें तो 1 अप्रैल 1953 में जन्मे हरी चंद ने गांव के स्कूल से ही अपनी पढ़ाई की थी. इसके बाद वह स्पोर्टस में चले गए. हरी चंद ने खूब मेहनत कर गांव और देश का नाम रोशन किया. बता दें, हरी चंद ने 1978 में बैंककॉक में हुई एशिया गेम में 5,000 मीटर और 10,000 मीटर गेम में गोल्ड मैडल जीता और देश का रोशन किया. इस के अलावा उन्होंने साउथ कोरिया में 1975 में एथलेटिक चैंपियनशिप में 10,000 मीटर दौड़ में रिकॉर्ड कायम करते हुए गोल्ड मैडल जीता और 5,000 मीटर में कांसे पदक जीता.
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देश के लिए ठुकरा दिया था विदेश का ऑफर
हरी चंद की रफ्तार यहीं कम नहीं हुई थी उन्होंने ओलंपिक खेलों में 1976 में कनाडा में 10 हजार और 1980 में मेस्को सोवियत यूनियन में हुई मेराथन दौड़ में नया रिकॉर्ड बनाया. कई बड़ी गेम्स में पदक जीतने वाले हरी चंद को भारत सरकार की ओर से अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया. वहीं हरी चंद के परिवार ने बताया कि हरी चंद को विदेशों से भी खेलने के लिए ऑफर आए थे. इसके बदले उन्हें अच्छी नौकरी और सैलरी भी ऑफर की गई थी, लेकिन उन्होंने अपने देश को प्रथमिकता थी.
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हरी चंद नाम का स्टेडियम खोलने की मांग
उनके परिवार वालों ने कहा दुख बात यह है कि हरी चंद ने जिस देश की खातिर नौकरी को ठुकरा दिया आज उसी देश ने एक महान खिलाड़ी को अनदेखा कर दिया. जिस खिलाड़ी का अंतिम संस्कार राष्ट्रीय सम्मान के साथ होना चहिए था उसके संस्कार पर एक भी अधिकारी नहीं पंहुचा. वहीं, उनके परिवार ने हरी चंद के नाम पर एक खेल स्टेडिम बनाने की बात मांग की है ताकि इस देश में हरी चंद से भी अच्छे खिलाड़ी पैदा किए जा सकें.
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