गुवाहाटीः सरकार और समाज का एक वर्ग मानता है कि मदरसे में पढ़ने वाले बच्चे को वहां सिर्फ धार्मिक शिक्षा दी जाती है, इसलिए वह जिंदगी की रेस में दूसरे बच्चों के मुकाबले में पिछड़ जाते हैं. लेकिन मदरसे के बच्चे ही वक्त-वक्त पर इस मिथक को तोड़ते रहते हैं. 2022-2023 में बड़े मैमाने पर मदरसे के बच्चों ने मेडिकल के NEET एग्जाम में कामयाबी हासिल कर लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा था.


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मदरसे के बच्चों की कामयाबी में फिर एक नया बाब असम के मदरसे से पढ़ाई करने वाले हाफिज ने जोड़ दिया है. असम के मरीगांव जिले के मोहसिन सिद्दीकी ने असम लोक सेवा आयोग 2022 के एग्जाम में पूरे राज्य में तीसरा स्थान हासिल कर न सिर्फ अपने परिवार, जिले और इलाके का नाम रौशन किया है, बल्कि उन्होंने मदरसा में पढ़ने वाले लाखों छा़त्रों को उम्मीद की एक नई किरण दिखा दी है. इस एग्जाम में पहला रैंक भी एक मुस्लिम महिला राशिका इस्लाम के नाम रहा है. 



दरअसल, मोहसिन सिद्दीकी एक हाफिज-ए-कुरान हैं, जिन्होनें अपनी जिंदगी की बुनियादी तालीम एक मदरसे से हासिल की है. मोहसिन ने मोइराबरी मदरसे से प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद गांव के ही हायर सेकेंडरी स्कूल से 10वीं का इम्तहान पास किया था. इसके बाद उन्होंने हायर एजुकेशन के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का रुख किया, जहां से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी. ग्रेजुएशन के बाद वापस असम आकर उन्होंने राज्य लोक सेवा आयोग की तैयारी शुरू की थी. उन्होंने पूरे राज्य में इस एग्जाम में तीसरा मुकाम हासिल किया है. उनका चयन ब्लॉक डिवेलपमेंट अफसर (BDO) ओहदे के लिए किया गया है. 


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मोहसिन सिद्धिक एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता अबूबकर सिद्दीकी एक रिटायर्ड शिक्षक हैं. मोहसिन चार भाई-बहन हैं. उनके तीन भाई और एक छोटी बहन अभी पढ़ाई कर रहे हैं. उनकी इस काययाबी पर पूरे गांव मंे जश्न का माहौल है. जिस मदरसे में मोहसिन ने शुरुआती पढ़ाई की थी; उस मदरसे ने उन्हें सम्मानित किया है. 
मोहसिन सिद्दीकी ने जी सलाम के संवाददाता शरीफ उद्दीन से बातचीत में तमाम छात्रों और मुस्लिम नौजवानों को संदेश देते हुए कहा कि मेरी अपील है कि कोई भी छात्र खुद को कमजोर न आंके. यहां तक कि मदरसे में पढ़ने वाले छात्र भी ये नहीं समझें कि वह सरकारी सेवा में नहीं जा सकते हैं. वह भी आगे की पढ़ाई करके सरकारी सेवाओं में अपना करिअर बना सकते हैं. मोहसिन ने गांव-कसबे के छात्रों को खास तौर पर सलाह देते हुए कहा कि आज सूचना तकनीक का जमाना है. इसलिए लोग कहीं भी रहकर अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं. आज मुश्किल समझे जाने वाले सभी तरह के एग्जाम के स्टडी मटेरियल ऑनलाइ मौजूद है. कोई भी कहीं रहकर इसको एक्सेस कर सकता है और अपनी तैयारी कर सकता है. 


मोहसिन ने ये भी कहा कि मदरसों को खत्म करने के बजाए उन्हें बढ़ावा देना चाहिए. वहां की पढ़ाई का स्टैंडर्ड ठीक किया जाना चाहिए, ताकि यहां पढ़ने वाले लाखों बच्चे भी अपना मुस्तकबिल संवार सके. 


गौरतलब है कि असम में भाजपा के सत्ता में आने और हिमंत विश्वा शर्मा की सरकार बनने के बाद बड़े मैमाने पर राज्य में मदरसों को निशाना बनाया गया. कई मदरसों पर बुल्डोजर चलाकर उसे गिरा दिया गया. सरकार का इल्जाम था कि उन मदरसों में देश-विरोधी गतिविधियां चलाई जा रही थी. पिछले दिनों असम सरकार ने कई सरकारी मदरसों को सामान्य स्कूलों में तब्दील कर दिया. सरकार की दलील थी कि इससे मदरसों के बच्चे भी स्कूल के बच्चों की तरह सक्षम बनेंगे और जिंदगी की रेस में उनसे कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ेंगे. लेकिन मदरसे के बच्चे ये साबित कर रहे हैं कि अगर उन्हें भी सही मार्गदर्शन और मौका दिया जाए, तो वह भी वह सबकुछ हासिल कर सकते हैं जो स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे करते हैं.


 रिपोर्ट: गुवाहाटी से शरीफ उद्दीन अहमद