Assam PSC Topper Rashika Islam: असम राज्य लोक सेवा आयोग की 2022 की परीक्षा में धुबरी जिले की एक मुस्लिम महिला ने पूरे एग्जाम में टॉप कर मुस्लिम लड़कियां, शादीशुदा महिलाएं और नौकरी पेशा महिलाओं के सामने एक नजीर पेश कर दिया है कि अगर आपके हौसले बुलंद हों, तो आप हर तरह की बाधाओं को पारकर अपनी मंजिल को हासिल कर सकते हैं.
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Assam PSC Topper Rashika Islam: असम के धुबरी जिले से एक बेहद ही शानदार खबर आई है. आम तौर पर तालीम से दूर रहने वाली मुस्लिम समाज की लड़कियों में से एक लड़की ने, असम राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा में पहला मुकाम हासिल किया है. ये कारनामा धुबरी जिले के गौरीपुर की बेटी राशिका इस्लाम (Rashika Islam) ने कर दिखाया है. इसमें सबसे ख़ास बात यह है कि राशिका इस्लाम (Rashika Islam) ने ये कामयाबी बिना किसी कोचिंग के हासिल की है. राशिका इस्लाम ने बताया कि यह उनका तीसरा प्रयास था. वो एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट पद के लिए चुनी गयी हैं. राशिका इस्लाम के पति रोसिनुल आलम भी बिलासीपारा में चुनाव अधिकारी हैं.
राशिका इस्लाम 2018 में सीसीई एग्जाम पास करने के बाद पहले से ही टैक्स निरीक्षक के रूप में सरकारी सेवा में हैं. सरकारी सेवा में होने की वजह से उन्हें पढ़ाई करने का ज्यादा वक़्त नहीं मिल पाता था, इसके बावजूद वह ऑफिस के कामों से बचे समय में पढ़ाई करती थीं.
राशिका इस्लाम ने अपनी दसवीं की पढ़ाई ICSC बोर्ड से, और 12वीं सीबीएसई से पूरी की है. उन्होंने ग्रेजुएशन बॉटनी सब्जेक्ट में किया है. राशिका इस्लाम के पिता एक रिटायर्ड आर्मी कर्नल हैं. उनका एक भाई है जो, सेरेब्रल पाल्सी नामक बिमारी से ग्रस्त है. उनकी माँ एक कुशल गृहणी हैं. अपने पिता की सेना में पोस्टिंग की वजह से देश भर के स्कूलों में पढ़ाई करने वाली रसिका ने अपनी बोर्ड और स्नातक की पढ़ाई गुवाहाटी से पूरी करने का फैसला किया था. उन्होंने 10वीं संस्कृति गुरुकुल से और 12वीं नारेंगी आर्मी स्कूल से पास की है. इसके बाद उन्होंने 2016 में कॉटन कॉलेज से बॉटनी में ग्रेजुएशन किया.
राशिका इस्लाम असम के धुबरी जिले के मटियाबाग गांव में अपने पारिवारिक घर में रहती हैं. राशिका इस्लाम ने कहा, "ग्रेजुएशन के तुरंत बाद, मैंने सिविल सर्विस के लिए तैयारी शुरू कर दी थी. मैं पढ़ाई के लिए मटियाबाग गांव वापस चली गई, क्योंकि मैं अपने 25 वर्षीय भाई, जिसे सेरेब्रल पाल्सी है, के करीब रहना चाहती थी, और उसकी प्राथमिक देखभाल करना चाहती थी.'' बेटी के घर पर होने से उनकी माँ रेहाना इस्लाम का काम भी आसान हो गया.
इससे पहले राशिका इस्लाम ने चार बार यूपीएससी सीएसई की परीक्षा दी थी, लेकिन प्रीलिम्स क्लियर नहीं कर पाईं थी. उन्होंने कुछ महीनों के लिए चेन्नई में कोचिंग भी ली, जिससे उन्हें राज्य प्रतियोगी परीक्षा में टॉप करने में मदद मिली. राशिका इस्लाम ने कहा, "यूपीएससी सभी परीक्षाओं की जननी है. मेरी बार-बार आने वाली समस्या CSAT पेपर थी. हालाँकि, कोचिंग ने मुझमें एक विश्वास पैदा करके राज्य परीक्षा में मेरी मदद की. मैं कोचिंग के बाद घर लौट आई, क्योंकि मुझे लगा कि मेरे भाई के साथ रहना मेरे मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा." उन्होंने इस बार भी यूपीएससी प्रीलिम्स दिया है.
कैसे की तैयारी
राशिका इस्लाम ने कहा, " प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर बहुत शोर है. किसी को भी शोर-शराबे से बचकर बुनियादी बातों पर ध्यान देने की जरूरत है. बुनियादी बातों से मेरा मतलब पाठ्यक्रम और पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों से है. एनसीईआरटी और राजव्यवस्था के लिए लक्ष्मीकांत, किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए रीढ़ की हड्डी हैं." तैयारी के दौरान मुख्य रूप से दो चीजों पर ध्यान केंद्रित करना ज़रूरी है, एक अवधारणा स्पष्ट करना और उत्तर लिखने का अभ्यास करना.
वह पढ़ाई के दौरान कभी भी घंटों की गिनती नहीं करती थी. किसी दिन, वह सुबह एक घंटे तक अखबार पढ़ती थी. कुछ दिनों में, वह लगातार 10 घंटे पढ़ाई करती थी.
राशिका इस्लाम मुस्लिम बेटियों के लिए मैसेज
राशिका इस्लाम का कहना है कि भारत की मुसलमान बेटी अपने सपने का कभी सौदा न करे. उन्हें कामयाब होने के लिए हर संभव कोशिश करना चाहिए और पढ़ाई मुकम्मल तरीके से करना चाहिए. पढ़ाई करने के बाद अपने सपने साकार हो जाते हैं, यही भारत के मुस्लिम बेटियों के लिए मेरे मैसेज है.
Input: गुवाहाटी से शरीफुद्दीन अहमद