नई दिल्ली: हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म "द कश्मीर फाइल्स" विवादों में घिरी हुई है लेकिन एक बहुत बड़ा तबका इस फिल्म की सपोर्ट में खड़ा हुआ है. फिल्म में 1990 के नरसंहार को दिखाया गया है. द कश्मीर फाइल्स की तारीफ खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की है. फिल्म में कश्मीरी पंडितों पर हुए जुल्म की दास्तान को दिखाया गया है. फिल्म देखने गए लोगों का कहना है कि वो लोग फिल्म देखकर बहुत भावुक हो उठे हैं और उनकी आंखों में आंसू भी आए. 


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बिट्टा कराटे का इंटरव्यू
फिल्म के बीच में इंटरव्यू भी दिखाया गया है और यह इंटरव्यू चर्चा का मौजू बना हुआ है और उसका असल इंटरव्यू वाला वीडियो भी अब वायरल होने लगा है. इंटरव्यू दे रहे व्यक्ति का नाम बिट्टा कराटे (Bitta Karate) है. लोग फिल्म देखने के बाद बिट्टा कराटे को इंटरनेट पर खूब सर्च कर रहे हैं और उसके बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. इंटरव्यू के दौरान देखा जा सकता है कि बिट्टा कराटे ने खुद कुबूल किया है कि उसने 20 लोगों को मारा है. तो आइए फिर जानते हैं कि आखिर ये बिट्टा कराटे है कौन?


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Interview of Bitta Karate:
वायरल हो रहे बिट्टा कराटे के इंटरव्यू में देखा और सुना जा सकता है कि उसने 20 लोगों का कत्ल किया है और कत्ल किए जाने वालों में ज्यादातर लोग कश्मीरी पंडित थे. बिट्टा कराटे का इंटरव्यू देखकर कोई भी गुस्से में आ जा सकता है. क्योंकि वो अपने ज़रिए की गई क्रूरता बहादुरी की तरह पेश कर रहा है. जब बिट्टा से सवाल पूछा गया कि तुमने क्यों मारा तो वो जवाब देता है कि ऊपर सा ऑर्डर आता था कि फलां का मार दो तो हम मार देते थे. 



बिट्टा से जब पूछा गया कि अगर आपके भाई और बहन को मारने हुक्म आ जाता तो क्या उन्हें मार देते? तो बिट्टा बहुत ही बेबाकी से बिना किसी झिझक के कहता है कि "हां मार देता." इंटरव्यू में बिट्टा ने यह भी कुबूल किया कि,"वह 32 दिन की ट्रेनिंग पाकिस्तान से लेकर आया था और सिर्फ 20 बरस का था जब वह प्रशासन से परेशान होकर दहशतगर्दी की राह पर निकल पड़ा था."


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कौन है बिट्टा कराटे?
सबसे पहले तो यह बता दें कि बट्टा कराटे का असली नाम फारूक अहमद डार है. एक जानकारी के मुताबिक फारूक अहमद डार जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट का चेयरमैन का है. एक जानकारी के मुताबिक बिट्टा को सबसे पहले साल 1990 में गिरफ्तार किया गया था और 16 वर्षों तक यानी साल 2006 तक जेल में रहा और फिर जमानत पर रिहा हो गया. जेल से छूटने के बाद बिट्टा ने जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट का दामन थाम लिया था. इसके बाद बिट्टा को NIA ने साल 2019 में भी गिरफ्तार किया था. 


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